उलझन ! मेरे दिल की ....
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ना रोटी ,
न रोजगार ,
न शिक्षा ,
न मकान
न कपड़ा
न बच्चे
न बीबी
न दवाई
न सड़के
न रेल
न बस
आग लगाने के लिए
मतलब परस्तो
ने गाय का मांस पकड़ा दिया ,
इसको खायो और
दंगो में जुट जायो !!
बना दो इस देश को दोझक .
.सीरिया अफगान सा
और कौम के तलबगार भी
बस इसकी चाहत में थे
बाकि उन्हें भी कुछ नही चाहिये था !
पिछले ७० सालो में इनका विकास जो हो चूका था !!
जागो दोस्तों ,
क्या आपको भरपेट खाना दे रहे है वो
जो ये आपके भाइयो से लड़ने के लिए दे रहे है !
जो खाना है वो खायो
पर न खायो
देश का अमन चेन
इसको आजादी अगर मानो
तो गुलामी क्या है !
मिलालो अब दिल से दिल
गले मिलो , गले मिलो
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