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प्रशासन में पेशेवर लोगों का आना कितना जरूरी है?

amaresh
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आजादी के बाद से आजतक ब्यूरोक्रेसी पर धीमे करने का आरोप लगता है।भारतीय ब्यूरोक्रेसी अपने बाबूगिरी के लिए बदनाम है।फ़ाइल कार्यालयों में महीनों और सालों तक पड़ी रहती है।धूल जमती रहती है।भ्रष्टाचार भी वहां का एक संस्कार बन चुका है।संघ लोक सेवा आयोग से निसंदेह प्रतिभाशाली लोग प्रशासन में जाते है किंतु कुछ साल प्रशासन में गुजारने के बाद उनका स्वरूप भी जड़ हो जाता है।फिर प्रशासन अपने बने बनाये ढ़र्रे पर चलता रहता है।किसी भी प्रकार का नवाचार नही रह जाता और न ही किसी प्रकार का क्रियाशील आचार विचार।प्रशासन सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक पार्टियों के योजनाओ को क्रियान्वित करता रह जाता है प्रशासक भ्रष्टाचार के वाहक बने रहते है।लोक सेवा आयोग की नौकरी रुतबा और वर्चस्व का प्रतीक बन कर रह गयी है।

 

 

लेकिन आज लोकतंत्र है।आज सरकार नाम की संस्था कुछ लोगो के राजसी भोग विलास और सामंती क्रियाकलापों का केंद्र नही है।आज वह जनता की सेवा करने वाली एक इकाई के रूप में प्रतिष्टित है।ऐसा लोकतंत्र में माना जाता है।लोकतंत्र जनता द्वारा,जनता के लिए,जनता का शासन है।यह जनता के लिए जो शासन है वह शासन अगर जनता तक न पहुंचे तो यह लोकतंत्र की प्रत्यक्ष रूप से असफलता ही कही जाएगी।
अब योजनाओं को जनता तक पहुंचाने का जिम्मा जिस प्रशासन के पास है उसकी जड़ता की चर्चा हम पहले ही कर चुके है।इसलिए आज के दौर की आवश्यकता यह है कि प्रशासन को कार्यकुशल बनाया जाए।कार्यकुशलता के लिए जरूरी है कि प्रशासन के हर क्षेत्र में पेशेवर लोग आए।इस संबन्ध में केंद्र सरकार की संयुक्त सचिव के 10 पदों पर भर्ती करना एक स्वागतयोग्य कदम है।

 

 

 

सरकार के किसी भी विभाग में उस विभाग या उस क्षेत्र के पेशेवर लोगो के आने से न सिर्फ प्रशासन की कार्यकुशलता बढ़ेगी बल्कि नीचे के स्तर पर भी सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आएगी।ये एक स्वाभाविक सी बात है शिक्षा विभाग में सचिव के पद पर एक आईएएस की जगह एक प्रोफेसर ज्यादा कुशलता से काम कर लेगा।लोकनिर्माण विभाग में सचिव के पद पर एक आईएएस की जगह एक इंजीनियर ज्यादा कुशलता से काम कर लेगा।चिकित्सा विभाग में एक डॉक्टर, खेल विभाग में एक खिलाड़ी,कृषि विभाग में कोई कृषि वैज्ञानिक ज्यादा कार्यकुशलता का प्रदर्शन कर सकते है।और वैसे भी अंतरिक्ष विभाग के सचिव आईएएस न होकर इसरो के चैयरमैन होते है।यहाँ जिस हिसाब से पेशेवर लोग काम करते है तो आप देख सकते है कि इसरो जिस कार्यकुशलता से काम करता है कि उसकी सफलता पूरे विश्व को आश्चर्यचकित करती है।उसी तरह की कार्यकुशलता की जरूरत अन्य विभागों में है।

दूसरी बात आज हम ऐसे लोकतंत्र में है जहाँ सरकार की तमाम जिम्मेदारियां है किंतु सरकार सबकुछ नही है।आज सरकार किसी एक परिवार की जागीर नही है।आज शासक भगवान के स्वरूप नही है।वो जमाना गया जब भावनात्मक रूप से लोगो को मूर्ख बनाकर सरकार बनती थी और शासक जनता के माई बाप बने रहते थे।आज सरकार सिर्फ और सिर्फ जनता की सेवक होनी चाहिए।अगर सरकार समाज के निचले वर्ग के लिए काम नही कर पा रही है तो उसे सत्ता में रहने का कोई हक नही है।और सरकारी योजनाएं जनता तक पहुंचे इसके लिए प्रशासन का स्वरूप बदला ही जाना चाहिए।बन्दूक के दम पर सत्ता की हनक दिखाने वाले लोगो की जरूरत एकदम नही है।10-20 गाड़ियों का काफिला लेकर और आस पास पुलिस का घेरा बनाकर काम करने वालो की कोई जरूरत नही है।

आज वैश्वीकरण का दौर चल रहा है।सरकार की भूमिका कम होती जा रही है।चूंकि प्राइवेट कंपनियां तो अपने लाभ के लिए काम करेगी उस समय समाज के निचले वर्ग का हित प्रभावित न हो उसके लिए सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।जनसरोकार से जुड़ी योजनाएं लोगों तक  पहुंचे लोग सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर गर्व और स्वाभिमान के साथ जीवन यापन कर सके इसके लिए जरूरी है पेशेवर लोग आए।आज देश को शासकों की नही बल्कि सेवको की जरूरत है।आज देश को प्रशासकों की नही बल्कि प्रबंधकों की जरूरत है।जो उचित प्रबंधन के द्वारा योजनाओं को सही लोगो तक पहुँचा सके और ये तभी संभव है जब प्रशासन में पेशेवर लोग आएंगे।

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