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वो पत्थर दिल क्यो बेचैन हैँ …

Amargyan
Amargyan
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आज लगता है मै ही गलत हू …
जो बचपन से ही किसी ग्रुप को लाइक नही करता था ।।

अकेले ही अपने कदम चाल के मस्ती मेँ …
मस्त था ।।

किताबे कहती थी मै सुनता था …
जब कभी भावुक हो जाता था …

तो उसके रंग मे रग जाता था …
उससे निकले शब्दो के सार को फिर संजोकर मैँ रख लेता था …

मैँ यह भालीभाति जानता हू …
ये बाते केवल मेरे दिल को चोट और बहुत चोट पहुचाती है …।।

जो मेरे गिरते हुए ग्राफ का एक बडा कारण है …
पर क्या करे दोस्त …

वो पत्थर दिल का एक टुकटा आज भी कही मेरे बाडी मे छुपा हुआ है …
जो ना चाह के भी उस र्दद का एहसास करता है ..

मेरी तडप जायज है पर वो पत्थर दिल क्योँ बेचैन हैँ …
पर वो पत्थर दिल क्यो बेचैन हैँ …

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मैँ जानता हू मेरी खता क्या है …
दिल टुटने कि वजह क्या है …

ये मेरी बदनसीबी कह लो …
या उनका हाईटेक नजरिया कहलो …

प्यार के हर ताने हर कामेँट मैँने सहे है …
फिर भी …

अभी तक दुनिया के नजरो से मैँने उन्हेँ बचा के रखा हैँ …
फिर भी …

अभी तक दुनिया के नजरो से मैँने उन्हेँ छिपा के रखा हैँ …

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उन्हेँ क्या पता ये भाव मेरे दिल के …
जो निकलती है गंगा के पवित्र जल की तरह …
मानो तो वो मेरे प्रेम शब्द है …
ना मानो तो वो फेक वर्ल्ड से बढ. कर कुछ भी नही …

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वो जो कहती थी
वो कितना सच है
या मेरा दिल समझता है
या उनका इमान जनता है …
क्या क्या गुजर रहा है मेरे दिल पे
ये या तो मैँ जानता हू या उनका दिल जानता है …
सोचा था वो मेरी खामोशी को जुबान देँगी …
पर वो खुद खामोश निकली ….

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अमरेश बहादुर सिंह
(Amresh Bahadur Singh)
visit this link ……….meraghumakkadshastra.blogspot.in

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