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क़ुरान को जला दो…
इस दुनिया मे सबसे बड़ा स्ट्रेंज थिंग्स क्या है आपको पता है? नही,चलिए में बता देता हू . अगर मैं काहु की इस धरती मे जो भी बिराजित है उसमे सबसे बिचित्र मनुष्या का नेचर है तो आप क्या कहेंगे? जी हां सबसे बिचित्र है…..
गौर करिए…
अगर कोई इस दुनियाँ से पाप दूर करना चाहता हो तो वो कोशिश करेगा कुछ ना कुछ,और उसका साथ उसकी मस्तिस्क देगी लेकिन किसी के दिमाग़ मे किसी ग्रंथ को छति पहुचाने जैसा कनसेप्ट, समझ मे नही आया…
किसी फिलॉसफर ने कहा है: आप भले तो जग भला,
क्या ख्याल है आपका ?
दुनिया को सुधारना चाहते हो तो सबसे पहले खुद को सुधारो ,ये मै ही नही सभी जानते है, फिर किसी को सुधारने मे ग्रंथ जलाने का मतलाब!!!!!..?
सुना है बूँद-बूँद कर घड़ा भरता है, उस घड़े मे पहला बूँद तुम बन जाओ हम भेंड-बकरियों की तरह खुद-ब-खुद गिर जाएँगे.
इस दुनिया मे सबसे ज़्यादा कोई मुश्किल काम है तो वो है इंशान के मनोब्रिति का स्टडी करना.
क्या आपको लगता है की किसी ग्रंथ को जलाने से भ्रा-इरादतन लोगो मे कमी होगी ,मुझे तो नही लगता! मुझे तो यही लगता है की ये आग मे घी डालने का काम करेगा . यदि किसी की मनोब्रिति किसी धर्म,जाती या फिर ग्रंथ से होता तो शायद इस दुनिया मे जाती,धर्म,और ग्रंथ का नाम-ओ-निशाँ नही होता.
भगवान राम,रावण से पहले उस ग्रंथ को जलाते जिसका अनुसरण रावण कर रहा था,लेकिन ऐसा नही है .कोई भी धर्म-ग्रंथ पाप करने की इजाज़त् नही देता. और ये भी हक़ीकत है की कोई भी इंशा बुरा काम करना नही चाहता. उसके पीछे उसके उसका टारगेट एंड इंटेंसन होता है.
जो भी इस काम को कर रहे है उनको इसका अंजाम अच्छी तरह पता है, वो हथियार उठाए है तो ऐसा भी नही की पैदा होते ही हथियार लिए थे.
अगर ग्रंथ जलाने से नापाक इरादतन दूस्ट ख़त्म हो जाए तो क़ुरान क्या सभी ग्रंथो को जला दो….
आप सोच रहे होंगे की मै बोर कर रहा हूँ लेकिन नही ज़रूरत है हमे आपसी सहयोग और समझदारी की.
अगर हमे वाकई मे आतंकवाद को ख़त्म करना है तो हमे एकजुट होना ही पड़ेगा . मैने उपर मेन्षन किया है की इस दुनिया मे सबसे विचित्र बात मनुष्य की मनोब्रिति है .और शैतानियत तो हर इंशान मे भरी है . कुछ लोग उसे पनपने नही देते ,कुछ लोग उसपे कंट्रोल करते है,कुछ लोग उससे मजबूर है तो कुछ लोग उसे समझ नही पाते और जो समझ नही पाते वही लोग ये काम करते है
अगर किसी को बुरा लगा हो तो उसके लिए माफी चाहूँगा !
धन्याबाद !
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