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यद्यपि यदा कदा बुंदेलखंडी चरित्रों को लेके फिल्में बनती रही है, चाहे पान सिंह तोमर हो या Bandit Queen पर बुन्देली संस्कृति को वो पहचान कभी नहीं मिल पायी, जितनी की पंजाबी या, हरियाणवी संस्कृति को मिली,जहाँ हम हिंदी फिल्मो में अक्सर पंजाबी या हरियाणवी भाषा का प्रयोग पाते हैं, और इनके चरित्र भी काफी लोकप्रिय हुए, बुन्देली संस्कृति आज भो लोगों के लिए कौतुहल का विषय ही है, न तो इसके साहित्य या भाषा की सही जानकारी लोगों तक पहुची और न ही यहाँ का लोक संगीत और कला…
२९ जुलाई को DSFPlay डिजिटल चैनल की प्रस्तुति , दाउ बकौल – बुल्देलखंडी लांच हुआ… और उसे देख कर आनंद आ गया, उम्मीद ये है की ये कलामंच के लिए एक नया अध्याय साबित होगा और लोगो को बुन्देली संस्कृति से जुड़ने की प्रेरणा देगा…
दाउ बकौल एक बुंदेलखंडी शहर का चरित्र है, जिसे इसे दुनिया में जो भी हो रहा है उस पर अपनी राय देनी के आदत है… चाहे वो फिल्में हो, राजनीति हो या, तकनीकी हो या अंतराष्ट्रीय मुद्दा.. .. पर ये उनकी अपनी सोच और अपनी कल्पना शक्ति के हिसाब से होती है और यही बात इस चरित्र को दिलचस्प बनाती है…
मुद्दा. काले धन का हो या, दिल्ली की राजनीति का, whatsapp का हो या फेसबुक का, यहाँ तक की बकौल दाउ की चिंता और अभियक्ति, अमेरिका के चुनाव तक है..
आप Youtube लिंक पे इस चरित्र का आनंद ले सकते हैं… और आगे आने वाले संस्करण के लिए चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं…
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