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हर पलकों मैं दबी दबी उम्मीदें ढूँढा करते हैं,
हम तो सब की आँखों में तसवीरें ढूँढा करते हैं,
उसके स्वप्न अँधेरे का सच,
मेरे आशाओं की दस्तक,
घुमा फ़िर कर झूट मूठ की
खुशी खुशी की बातें कहते,
अपनी अपनी खुली हथेली ,
अपनी अपनी रेखाओ में,
अपनी अपनी छुपी छुपी तकदीरें ढूंढा करते हैं…
उसने मुझ तक दौड़ लगाई,
हाथापायी, लड़ी लड़ाई,
अपनी अपनी, लगी दुकानें
अपने अपने भरे खिलौने,
मासूमो के साथ तरसती,
इन खुशियों के दाम लगे हैं,
जिसकी जितनी थैली मैं दम,
उतनी बड़ी खुशी ले जाए,
तरसी तरसी पलकों की तासीरें ढूंढा करते हैं,
उसने मुझ को पत्थर मारा,
मैंने उस को गाली दे दी,
उस को बाँध लिया रिश्तों में,
झूठ मूठ आजादी दे दी,
साथ साथ खाते पीते हैं,
साथ साथ ही हँसते गाते,
पलट पलट कर धोका देते,
पलट पलट कर धोके खाते,
अपनी ही परछाई की तदबीरें ढूँढा करते हैं….
हम तो सब की आँखों में तसवीरें ढूँढा करते हैं
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