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आधुनिक युग के वैज्ञानिक व् प्रमाणिक धर्म – प्रवर्तक के रूप में आचार्य श्रीराम शर्मा भारत ही नहीं विश्व में स्थापित हैं . आचार्य जी ने आजीवन हिन्दू धर्म -दर्शन तथा धार्मिक विधियों व् पद्धातियों को समीचीन एव सहज बनाने की दिशा में सार्थक कार्य संपादित किया है .पंडित श्रीराम शर्मा ने युगबोध की धार्मिक मान्यताओं को सरल रूप से विज्ञान की आधुनिक सहजता से सहसम्बंधित ही नहीं बल्कि युगांतकारी रूप से आगे सिद्ध करने का कार्य सफलता से रेखांकित कर दिया है .समूचे राष्ट्र में गायत्री – परिवार के स्वरूप में ठोस योजना को युग निर्माण की दिशा में समृद्ध परम्परागत भूमिका तक ले आने का विवेकपूर्ण और तर्कसम्मत समर्थवान वैश्विक हितैषी कार्य किया .हरिद्वार में गायत्री पीठ शान्ति कुञ्ज एवं युग निर्माण योजना ,मथुरा जैसे शोध -अध्ययन ,दर्शन -चिंतन एवं ज्ञान केंद्र की स्थापना कर के आधुनिक भारतीय धर्म -अध्यात्म को नवीन युग चेतना के परिप्रेक्ष सुदृढ़ योगदान दिया है .जिसके तहत युग चेतना एवं मार्गदर्शन द्वारा प्रगाढ जीवन -धर्म के संवहन कार्य सतत गतिशील है . आचार्य श्रीराम शर्मा को धर्म के आधुनिक उन्नायक तथा प्रतिष्ठापन हेतु देश व् समाज से जुड़ने की अद्भुत क्षमता ,योग्यता के साथ व्यवहारिक ज्ञान की विशाल समझ रही .उनके धर्म विषयक विचार एक ओर प्राचीनता को वर्तमान के साथ स्थापित करते है वहीं आधुनिकता को संतुलित करने में बेजोड़ सफल है . वास्तव में जिस अव्यवसायिकता व् विपणन से अलग शुद्ध -सात्विक दर्शन – चिंतन को स्वरूपगत विचारधारा के तहत मार्गदर्शन दिया वह वैज्ञानिक धर्म -दर्शन स्वामी विवेकानंद की आधुनिक चिंतन -भूमि को बेहद उर्वरता प्रदान कियें हैं .अगर गहराई से विवेचन करें तो स्पष्ट लगता है की व्यवहारिकता की दृष्टि से आचार्य श्री के धर्म -दर्शन -चिंतन की सामान्य से सर्वश्रेष्ठ में युग निर्माण की सार्थक भूमिका प्रकट होती है . आचार्य श्रीराम शर्मा के जयंती अवसर पर उनके अवस्मरणीय योगदान को भली भाँती समझना तथा उनके युग निर्माण के प्रति संवेदनशील युग धर्म है . वैश्विक युग के चेतनशील विकास के के लिए आचार्य जी के दिशा निर्देश युगान्तकारी रूप में सशक्त हैं .जिनकी सहजता व् सरलता जन सामान्य के सर्वाधिक निकटस्थ है . ——————————-अमित शाश्वत
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