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भारतीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात में नशा की समस्या को गंभीरता से लिया है .वाकई आज का भारत नशा से जूझ ही नहीं रहा बल्कि युवाओं के आकर्षण का बिंदु भी हो जा रहा है .अब यह निश्चित रूप से राष्ट्रीय चिंता का विषय तो बनता ही है .किसी देश के विकास की ऊर्जा अगर सोख ली जाये तो बचेगा क्या ? भारतीय नेतृत्व की यह बेचैनी अत्यंत जायज है और राष्ट्रीय अभिभावक की भूमिका को प्रकट करती है . लगातार नशे की बढ़ रही प्रवृति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता .विभिन्न अपराधों के पीछे नशा एक ख़ास वजह माना ही जाता है .नशेबाज देश ,समाज और परिवार को कई तरह से बर्बाद करते है .अपने आप के लिए भी मात्र बर्बादी ही इक्क्ठा करते है .बिखरते समाज और टूटते परिवार के पीछे नशा एक मुख्य कारक है . प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय अभिभावक जैसी चिंतन शैली को राजनीति से जोड़ कर देखना भूल ही समझा जाना चाहिए .वैसे ऐसी भूल शायद ही हो .वहीं जनमानस की विवेकशीलता पर कदापि संदेह नहीं किया जा सकता . नशे की लत वाला स्वयं अपने मन में जानता है की उसकी आदत खराब तो है ही .उसे इससे निकालने में मदद की दरकार है .यह बिलकुल सही ठहरता है की नशे के विरुद्ध कार्यरत व्यवस्था को अपना काम ईमानदारी से निभाना होगा . प्रधानमन्त्री जी द्वारा इस सन्दर्भ में योग को जोड़ना काफी महत्वपूर्ण मार्ग इंगित करता है . हिन्दुस्तान के भविष्य को अन्धकार में धकेलनेवाला नशा को दरकिनार करने की बेहद जरुरत है .माननिय प्रधानमंत्री के मन की बात ने ऐतिहासिक रूप से उन्हें “राष्ट्रीय अभिभावक ” के रूप में स्थापित किया है . ——————-अमित शाश्वत
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