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नई दिल्ली जनता भले ही महंगाई से दो-चार होती रहे, लेकिन दिल्ली सरकार अपने मंत्रियों – विधायकों को मलाई खिलाने को तैयार है। माननीयों के वेतन-भत्ते 80 हजार से एक लाख रुपए प्रतिमाह करने का प्रस्ताव है। फिलहाल विधायकों को 32 व मंत्रियों को 36 हजार रुपए माहवार मिल रहे हैं। विधेयक मंजूर हुआ तो दिल्ली के विधायक वेतन-भत्तों के मामले में देश के दूसरे सभी राज्यों को पछाड़ देंगे। दिल्ली सरकार ने एनसीआर अधिनियम-1994 व दिल्ली के वेतन व भत्ता अधिनियम-1994 में संशोधन कर विधायकों व मंत्रियों को मालामाल करने का फैसला किया है। विधायकों का वेतन छह हजार से बढ़ाकर 10 हजार रुपये व दैनिक भत्ता 500 से 1000 रुपये करने तथा मुख्यमंत्री का मूलवेतन 10 से बढ़ाकर 15 हजार करने का प्रस्ताव है। इसी तरह मंत्रियों का बेसिक बढ़कर 12 हजार तथा दैनिक भत्ता एक हजार हो जाएगा। मंत्रियों व विधायकों को विधानसभा क्षेत्र भत्ता आठ से बढ़ाकर 25 हजार करने तथा सरकारी आवास न मिलने पर 25 हजार मासिक भत्ता देने का प्रावधान है। इससे पूर्व यह भत्ता 10 हजार प्रतिमाह था। फोन-मोबाइल की काल दरें भले ही रोज-रोज सस्ती हो रही हों पर शीला सरकार टेलीफोन के मद में भी हजार रुपये की बढ़ोत्तरी देने जा रही है। इसके अलावा विधायकों को हर महीने एक हजार यूनिट बिजली तथा पांच हजार किलोलीटर पानी मुफ्त देने के साथ ही फ्री सरकारी इलाज या इलाज पर खर्च का पूरा भुगतान का प्रावधान किया गया है। डीटीसी का फ्री पास व एक हजार रुपये प्रतिमाह मेट्रो में सफर की सुविधा भी मिलेगी। सरकार द्वारा तैयार कैबिनेट नोट में कहा गया है कि पिछले कुछ समय से विधायकों द्वारा वेतन, भत्ते व अन्य सुविधाओं में वृद्धि की मांग की जा रही है। तर्क है कि जो भत्ते दिए जा रहे हैं, उसमें जनसेवा नहींहो पा रही है। संशोधन विधेयक में हरेक विधायक को लैपटाप संचालक, डेस्कटाप कंप्यूटर, इंटरनेट, सात निजी सहायक देने की बात कही गई है। अभी तक किसी भी विधायक को निजी सहायक नहीं मिलता है। वर्तमान में एक विधायक को 15 सौ रुपये पेंशन दो से चार साल तक, चार साल बाद पांचवे साल में तीन हजार की जगह पांच हजार रुपये पेंशन लेने का प्रावधान है। अब विधानसभा सदस्यों को पहले वर्ष पांच हजार, उसके बाद प्रति वर्ष दो हजार की वृद्धि देने का प्रावधान है।
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