kavita
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आजन्म संगति की अप���क्षा प्रिये-
गुण–दोषों सहित स्वीकार्य
हुई हूँ–धन्य हुई मै ,
खींचा है आपके प्रेम ने मुझे
सींचा है आ���ने सपनो को मेरे
���्रेम की ये परिभाषा
आपने है सिखाया
प्���िये ! हमारा अस्तित्व इ���
दुनिया म���ं रहेंगे क���यामत तक
शपथ है मेरी मै न जाऊंगी
रह न पाऊँगी
देखे बिना आपके एक झलक
सात जन्मो से �������ंधी हूँ म���
आगे सात जन्मो तक
सात फेरे के बंधन है
मै न जाऊंगी
त���ड़कर ���े बंध�������
प्राण न्योछावर है आप पर
आप���े ही सीखा है
प्रेम की परिभाषा
धन्य हुई मै ।।
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