kavita
- 139 Posts
- 702 Comments
हे ईश मैं शीश नवाती हूँ
चरण वंदन मैं करती हूँ
मन के हर कोने को रोशन
कर दो-ये वर दे दो प्रभू
इच्छा की कोई सीमा नहीं
कामनाओं का कोई छोर नहीं
पर जगहित ही हो जिसमे
उस इच्छा को पूर्ण करो प्रभू
इस गलती के पुतले को
मात्र प्राणी न रहने दो
मानव बन जाऊं मैं भी
मानवता मुझमे लाओ प्रभू
छल-कपट से भरे मन में
सादगी का ज्योत जलाऊँ मैं
मूंह न थके हरिनाम करते
ऎसी सम्मति बन जाए प्रभु
Read Comments