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आप सबको तीज की ढेर सारी बधाइयां ……हार्दिक शुभकामनाये इस अवसर पर एक स्तुति प्रस्तुत कर रही हूँ

kavita
kavita
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हे ईश मैं शीश नवाती हूँ
चरण वंदन मैं करती हूँ
मन के हर कोने को रोशन
कर दो-ये वर दे दो प्रभू

इच्छा की कोई सीमा नहीं
कामनाओं का कोई छोर नहीं
पर जगहित ही हो जिसमे
उस इच्छा को पूर्ण करो प्रभू

इस गलती के पुतले को
मात्र प्राणी न रहने दो
मानव बन जाऊं मैं भी
मानवता मुझमे लाओ प्रभू

छल-कपट से भरे मन में
सादगी का ज्योत जलाऊँ मैं
मूंह न थके हरिनाम करते
ऎसी सम्मति बन जाए प्रभु

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