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मैं घर में सबसे छोटी बेटी हूं। हम चार बहन हैं, एक भाई। मेरे पापा एक टेलर्स मास्टर हैं। लेकिन वह अब उस काबिल नहीं कि कुछ कर सकें। वह हमारे लिए अच्छी सोच रखते हैं। मैं अपनी बड़ी दीदी के घर पर रह कर पढ़ रही हूं। मेरा अनुभव यह है कि अगर हम अपनी मंजिल हासिल करना चाहते हैं, तो हमें खुद पहल करनी होगी।
हमें अपने अन्दर आत्मविश्वास को बनाये रखना होगा। आर्थिक परेशानियों को झेलते हुए बीए पार्ट तृतीय वर्ष में पढ़ाई कर रही हूं। मेरे घर में कोई भी बीए नहीं सका है। मेरा मानना यह है कि अगर आपको कोई पढ़ा रहा है, तो उसका सही परिणाम हमें देना चाहिए। मैं पूरी कोशिश करती हूं कि मेरी दीदी-जीजा का जो खर्च मुझ पर हो रहा है, वह बेकार नहीं जाए। मेरे पापा हम से बहुत उम्मीद करते हैं। मैं इन सब परेशानियां से निकलने की पूरी कोशिश करती हूं। मैं पढ़ लिखकर एस.पी बनना चाहती हूं और देश और समाज का विकास करना चाहती हूं। अगर मैं अपना मुकाम हासिल कर पायी तो एक बड़े से हाल बनवा कर उन लड़कियों की शादी करवाऊंगी, जिनकी मदद करने के लिए कोई नहीं है। हमेशा लड़कियों की सहायता करूंगी। हमें परेशानियों से घबराना नहीं चाहिए। प्रतिभा किसी भी बात की मोहताज नहीं होती है। लड़कियों के अन्दर भी प्रतिभा होती है। बस हमें आत्मविश्वास को बनाये रखना है।
शबनम प्रवीन
गर्वमेंट महिला कालेज पटना
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