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विश्व मलेरिया दिवस

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सन 2007 का समय था। विद्यालय में पढाई चल रही थी। एक छात्र ने आकर सिर दर्द की सूचना दी। तत्काल छात्रावास के संरक्षक को बुलाकर बच्चे को प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल भेजा। शाम होते होते बच्चे के निधन का समाचार मलेरिया होने के कारण आया। मन अचम्भित एवं खिन्न हो गया। एक छात्र जो कि सुबह में हंस – खेल रहा था , शाम में नहीं है। क्या मलेरिया इतना भयानक है? क्यों नहीं शासन-तंत्र मलेरिया की रोकथाम के लिए कुछ करने की सोचता है? आम नागरिक मलेरिया के प्रति जागरूक हो – इसके लिए सोचा जाए। अगले दिन अस्पताल से चिकित्सकों को बुलाकर जब बच्चों का खून जांच कराया तो आश्चर्य हुआ कि 50 से अधिक बच्चों में मलेरिया परजीवी पाए गए। यदि इन बच्चों के खून के नमूनों की जाँच यदि समय रहते नहीं कराते तो पहले वाली घटना की पुनरावृति फिर हो सकती थी।

अगले साल संयुक्त राष्ट्रसंघ की संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन  ने 25 अप्रैल को मलेरिया जैसे गंभीर बीमारी पर काबू पाने के लिए  ‘विश्व मलेरिया दिवस’ घोषित किया। तब से लेकर आज तक पूरी दुनिया में यह दिवस मनाया जाता है। इस साल विश्व मलेरिया दिवस का विषय है – ‘शून्य मलेरिया – मेरे साथ’ अर्थात पहले अपने से ही मलेरिया मुक्त बनने की सोचेंगे। यदि शुरुआत अपने आप से सभी लोग करें तो मलेरिया को तो भागना ही पड़ेगा। इसके लिए जागरूकता जरुरी है। इसके लिए सबसे पहले लोगों को बताना पड़ेगा कि मलेरिया हैं क्या? मलेरिया मच्छरों से फैलने वाली एक ऐसी बीमारी है जो मानव शरीर के सम्पर्क में आते ही इंसान को बहुत तेज बुखार (पसीना, ठंड और कँपकँपी, सिरदर्द, माँसपेशियों में दर्द, थकान, जी मचलना, उल्टी, दस्त) आने लगता है, यदि समय पर इसका सही इलाज नहीं किया जाता है तो मानव को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। मलेरिया एक परजीवी रोगाणु से होता है, जिसे हम प्लाजमोडियम कहते हैं। यह रोगाणु एनोफ़ेलीज़ जाति के मादा मच्छर में होते हैं और जब यह मादा मच्छर किसी व्यक्‍ति को काटती है, तो उसके खून की नली में मलेरिया के रोगाणु फैल जाते हैं।

अन्य मच्छरों के काटने से निम्न 4 प्रकार की बीमारियाँ हो सकती हैं :

  • डेंगू
  • चिकनगुनिया
  • जीका बुखार
  • जापानी इन्सेफेलैटिस

उपरोक्त बीमारियाँ मच्छरों के काटने से पनपती हैं लेकिन सभी मच्छर अलग – अलग श्रेणी के होते हैं। हमलोग यहाँ जिस प्रकार मलेरिया की रोकथाम करते हैं उसी प्रकार उपरोक्त बिमारियों की भी रोकथाम कर सकते हैं। सभी मच्छर के काटने से ही होता है।

मलेरिया की रोकथाम के उपाय:-

  • मच्छरदानी लगाकर सोएं और ध्यान रखें कि उस पर मच्छर मारनेवाली दवा लगी हो। उसमें कोई छेद न हो और वह कहीं से फटी न हो।
  • घर के अंदर मच्छर मारने वाली दवाई छिड़कें।
  • घर के दरवाजों और खिड़कियों पर जाली लगाएँ और वातानुकूलित यंत्रों और पंखों का इस्तेमाल करें, ताकि मच्छर एक जगह पर न बैठें।
  • अगर हो सके तो हल्के रंग के कपड़े पहने जिससे आपका शरीर पूरी तरह ढका हो।
  • ऐसी जगह पर मत जाइए, जहाँ झाड़ियाँ हों क्योंकि वहाँ बहुत मच्छर होते हैं, या जहाँ पानी इकट्ठा हो क्योंकि वहाँ मच्छर पनपने का खतरा होता है।
  • अगर आपको मलेरिया हो गया है, तो फ़ौरन इलाज करवाएं।
  • जागरूकता अभियान मलेरिया बीमारी के बारे में चलाएँ – वृत्तचित्र, नुक्कड़ नाटक , विद्यालय, महाविद्यालय में व्याख्यान आदि जैसे कार्यक्रम चला सकते हैं।

इस प्रकार हम देखते हैं कि मलेरिया से रोकथाम एक असंभव कार्य नहीं है बल्कि एक संभव कार्य है। केवल सतत एवं निरंतर प्रयास करने की जरुरत है। यह कार्य केवल सरकार पर छोड़ देने से नहीं होगा इसमें जन समुदाय की भागीदारी भी चाहिए। यदि हम मलेरिया को नियंत्रित करना चाहते हैं और उसके दुष्प्रभावों से बचना चाहते हैं तो मलेरिया संक्रमण के दौरान और उसके बाद समय – समय पर जाँच करानी चाहिए और खाने – पीने की चीजों की अच्छी तरह से देखभाल करनी चाहिए।

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