Menu
blogid : 26906 postid : 99

लम्बी काली रात

www.jagran.com/blogs/Naye Vichar
www.jagran.com/blogs/Naye Vichar
  • 42 Posts
  • 0 Comment

रात काफी लम्बी हो गयी है.

कब सुबह होगी?

समझ में नहीं आ रहा है.

मुर्गे की बांग के ऊपर सारा ध्यान है.

लेकिन लगता है कि

मुर्गा भी कूकुडू कू बोलने के लिए

तैयार नहीं है.

ध्यान टेलीफोन पर जाता है.

शायद वहां से अँधेरा छंटने की खबर आए?

वहां से मित्र केवल सांत्वना देते हैं.

और कहते हैं कि

रात कितनी भी लम्बी हो

अँधेरा जरुर छंटेगा.

तब तक के लिए दीपक जलाओ,

अँधेरा न छंटे, दूर जरुर होगा.

धैर्य लग रहा है कि

अधैर्य में बदल रहा है.

न कोई पश्चाताप है मुझे

बल्कि पूर्णता का अनुभव हो रहा है.

पतझड़ का मौसम बीतेगा

और फिर नए फूल – फल

खिलेंगे और लगेंगे.

अँधेरे में बैठा हूँ

और अँधेरा दूर होगा – इस इन्तजार में हूँ.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh