www.jagran.com/blogs/Naye Vichar
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तकलीफ में हूँ पर गम नहीं,
मेरे पास चमकते नोट नहीं,
अभी मेरे पास ऊँचा पद नहीं .
पद ही आदमी का कद तय करने लगा है.
कोई बात नहीं.
प्राचीन काल से ही,
परोपकार और भलाई करने वाला व्यक्ति
संघर्षरत रहा है.
सफलता के उच्च शिखर पर बैठे व्यक्ति
का गिरना कोई नयी बात नहीं,
एक हंसी खेल है.
इतना जरुर है की
वक्त बदलेगा और बदलता जरुर है ,
लेकिन कब?
इंतजार करना पड़ेगा.
आर्थिक रूप से कमजोर हूँ
इसीलिए अपमान के घूंट पीकर जिन्दा हूँ.
लेकिन थोड़े में से ही कुछ देने की चाहत
रखता हूँ.
सत्संगति ,सद्भाव, सद्विचार तथा सत्साहित्य
यही सच्चा धन है.
संतोष के साथ रहना ही असली धन है.
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