Menu
blogid : 26906 postid : 131

संकल्प का महत्त्व

www.jagran.com/blogs/Naye Vichar
www.jagran.com/blogs/Naye Vichar
  • 42 Posts
  • 0 Comment

संकल्प का अर्थ है किसी अच्छी बात को करने का दृढ निश्चय करना। अगर मनुष्य के जीवन संकल्प अटूट हो और लक्ष्य तय हो तो अंततः जीवन उसके में मंजिल मिलना तय है। संकल्प लेने के बाद कोई विकल्प नहीं रखना है। विकल्प रखने से फिर जीवन का कायाकल्प होना कठिन है। क्योंकि विकल्प मिलने से भटकने का डर भी उत्पन्न हो जाता है। इसीलिए मंजिल तक पहुँचने के लिए एक संकल्प काफी है। सुबह किसी पछतावे के साथ नहीं जागना है कि बीते हुए कल में हम कुछ कार्य नहीं कर सके बल्कि एक संकल्प के साथ जागना है कि आज उस कार्य को अवश्य करना है। इसमें भावनाओं को अपने वश में रखना बहुत जरुरी है तभी संकल्प पूरा होगा। हमारे सनातन धर्म में जब भी परिवार पर कोई संकट आता है तो हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं फिर उनके समक्ष संकल्प लेते हैं कि हे प्रभु हमारे संकट को दूर करें। हम आपके पूजन करेंगे। परिवार, समाज या देश चलाना हो तो सादगी व सरलता की जगह कडे़ संकल्प व दृढ इच्छा शक्ति की आवश्यकता होती है। मन का संकल्प ही हर जगह जीत दिलाता है। कहा भी गया है कि किमनुष्य में शक्ति की कमी नही होती, संकल्प की कमी होती हैं। जो संकल्प कर सकता है वह कुछ भी कर सकता है। मनुष्य को अपने जीवन में एक ही संकल्प करना है कि कभी किसी निर्दोष का अहित न हो जाए। अर्थात संकल्प लेते समय मानवता और इंसानियत को हमेशा ध्यान में रखना है। संकल्प दृढ हो तो सिद्धि खुद चलकर आती है। इसमें हमें संशय नहीं होनी चाहिए।

श्री हनुमानजी ने अपने जीवन में एक संकल्प ले लिया था कि वे प्रभु श्रीराम की भक्ति में ही अपने जीवन को समर्पित कर देंगे। उन्होंने इस बात का हमेशा ध्यान रखा कि उनसे भूलकर भी कही कोई गलती न हो जाए। हर वक्त श्री हनुमानजी तत्पर रहते थे। कभी उन्होंने ये नहीं कहा कि थक गए हैं। आज का कार्य कल करूँगा। श्री लक्ष्मणजी को शक्ति बाण लगने से मूर्छा आ गयी है। वैद्य ने संजीवनी बूटी हिमालय पर्वत से लाने की बात कही। श्री हनुमानजी का दृढ संकल्प ही था कि वे पूरे पर्वत को ही लेकर आ गए। जरा सा भी थकान या शिकन उनके चहरे पर नहीं। साथ ही साथ भगवान श्रीराम के कार्य करने से उनको अत्यधिक प्रसन्नता होती थी। संकल्प इस प्रकार का होना चाहिए। सीमा पर लड़ने के लिए जब हमारे बहादुर जवान जाते हैं तो उनका संकल्प पक्का होता है कि दुश्मनों का खात्मा कर ही आयेंगे। कोई सैनिक पीठ दिखाकर नहीं आता है। करो या मरो वाली बात होती है। वीर सैनिकों को मालूम है कि उनका जीवन देशहित में समर्पित हो सकता है। लेकिन संकल्प पक्का होता है और वे सीमा पर हर प्रकार की चुनौतियों का सामना डट कर करते हैं।

संसार की जितनी भी सफल गाथाएँ हैं उनके जड़ में दृढ संकल्प ही मुख्य है। जितने भी आविष्कार हुए – सभी दृढ संकल्प के कारण ही पूर्ण हो सके। यदि मानव डर जाता तो आज हवाईयात्रा नहीं कर सकता। यह मनुष्य की दृढ संकल्प के कारण ही संभव हो सका कि आज मनुष्य ने जल, थल और नभ तीनो पर अधिकार कर लिया। ऐसा तोडा-काटा तथा बाँधा है कि आज मनुष्य की जिन्दगी काफी सुखमय हो गयी है। संकल्प के ऊपर ही विद्या तथा संपत्ति का संचय होता है। यदि हम पढने से भागने लगे तो या अपने संकल्पों से पीछे हट गए तो विद्या नहीं आएगी। संपत्ति का संचय यदि सही मार्ग से करना है तो दृढ संकल्प की ही आवश्यकता ही पड़ेगी। आज संसार में जितने भी व्यापारिक निगम या घराने हैं – सभी की सफलता की कहानी यदि हम पढेंगे तो पायेंगे कि उनके जड़ में दृढ संकल्प ही है। अभी हाल ही में भारतीय प्रशासनिक सेवा का परिणाम घोषित किया गया। सफल उम्मीदवारों के साक्षात्कार देखकर यही प्रतीत हुआ कि सभी ने सफलता अपने संकल्पों के कारण ही प्राप्त की है। यदि परीक्षार्थी उस वक्त अपने संकल्पों से भटक जाते तो उनको सफलता नहीं मिलती। किसी को भी सफलता भाग्य के भरोसे नहीं मिली।

संकल्प-शक्ति में काफी ताकत होती है। इससे बढ़कर दूसरी कोई और शक्ति नहीं होती। यदि भाग्य, बुद्धि, लक्ष्मी और संकल्प इन चारों में से किसी एक का चुनाव करने कहा जाए तो निश्चित रूप से संकल्प का ही चुनाव करना श्रेष्ठ होगा। क्योंकि  भाग्य बदलते रहता है। बुद्धि भ्रष्ट हो सकती है। लक्ष्मी अपना घर बदलते रहती है। एक संकल्प ही है जो हमें हमारे अभीष्ट स्थान तक पहुंचा सकता है। संकल्पशील व्यक्ति अपने परिश्रम से ज्ञान ,धन प्राप्त कर अपने भाग्य को उज्ज्वल कर सकता है।

संकल्प निभाने में मेहनत लगती है। सपनो को सच बनाने में सच का सामना करना पड़ता है। रिश्ते निभाने में, जिन्दगी बनाने में , बुलन्दियों को पाने में बरसो लगते है और जिन्दगी फिर भी कम पडती है। इसीलिए संकल्प हमें दूसरों के संकल्प से बेहतर लेना होगा।

अंत में इतना ही कह सकते हैं कि दृढ संकल्प से दुविधा की बेड़ियाँ कट जाती हैं। कठिन से कठिन कार्य भी संकल्प यदि पक्का हो तो पूर्ण हो जाता है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh