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हम साहित्य विकास नहीं राष्ट्र चेतना के लिए बढ़े हैं……जो यह सोचता है की राष्ट्र के लिए कहने को उसके पास कुछ शब्द हैं वो अवस्य यहाँ आए और अपने विचारों को लिखे…………bharatmitramanch.com
विचार को गढ़ें अभी अगर हो दिल में भारती……..
चलो बढ़ें, चलो बढ़ें, है मात्रभूमि पुकारती……….
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विचार के धनी यहाँ कई वतन के लाल हैं……..
लिखना यहाँ पड़ेगा क्योंकि राष्ट्र का सवाल है……
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राष्ट्र के विकार को मन में जरा विचारलो…….
चित्र राष्ट्र की जरा खुली आँख से निहार लो…….
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क्यों अवनति की ओर अपना राष्ट्र देखो चल पड़ा……
विशुद्ध भाव है मगर ये क्यों अंधेरों में पड़ा…….
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उजियारों को खोजने नहीं कोई भी आएगा……..
आदर्श के भले कई फतवे सुनाता जाएगा…….
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कहते रहें जो कह रहें कई जगह पे अनकही……
हम राष्ट्र के फ़क़ीर हैं उम्मीद बस बुझे नहीं…….
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बस प्रेम बांटते रहें और दिल में भावना बहे…….
चाहे अंजाम जो रहे ये जोश बस बना रहे…………
भारत मित्र मंच
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