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मंच पर मुझे पढ़ने वाले सभी जनों को मेरा प्रणाम ………….बहोत दिनों से इच्छा थी की कुछ लिखूं अपनों के लिए जो बिन देखे ही आखों के तारे हो गएँ……..फिर सोचा क्या लिखूं??????????………………… इसलिए कुछ उन गुरुजनों की बातों को आपके सामने ला रहा हूँ……..जो इस मंच पर स्तंभ की भाँती है…..
मैंने यहाँ बहोत साथियों और गुरुओं को पाया है………..साथियों का साथ तो अपनी जगह पर है ही गुरुजनों ने भी मेरा ना सिर्फ हौसला बढ़ाया है बल्कि सदा अच्छा लिखने की प्रेरणा भी दी है इसके लिए उन सभी लोगों का धन्यवाद जो मुझसे कभी भी जुड़े हों …………..मंच पर बहोत से ऐसे जन है जिनके बारे में भी लिखना चाहता था किन्तु लिख नहीं पाया उसके लिए क्षमा चाहूँगा………………….
पवित्र अग्नि
“जीत उसी को मिलती है, जो गिरा – उठा – फिर दौड़ पड़ा“
…….. अन्ना के लिए राजनीतिज्ञों को-
“सत्पुरुष धरा पर आया है ! बन जोश दिलों में छाया है !
वह अग्निपुंज, वह शांतिदूत ! उसके उर में धीरज अकूत !
भयभीत नहीं होनेवाला ! वह धैर्य नहीं खोनेवाला !
“
“गरुड़ करे परवाज़, बाज क्या कर पायेगा,
कुत्तों से गजराज भला क्या डर जायेगा ?“
..…………….. श्री शशिभूषण ……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..
ज्ञान सागर
“मिट गए सिंदूर कई जो सत्य को पुकार कर,
गर्व उन्हें फिरभी यहाँ इस देश को निहार कर,
लानते ना दे अब इस ढ्कोसली सरकार पर,
बिखेरना है धज्जियां, सत्य का तू वार कर II
प्रहार कर प्रहार कर……..“
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“वैश्यावृत्ति हमारे समाज का अभिन्न अंग है शायद ही कोई कानून इसको जड़ से समाप्त कर सके. यदि ऐसा हुआ तो मुझे हार्दिक ख़ुशी होगी क्योंकि जिस महिला या कन्या को मै देवी रूप में पूजता हूँ उस पर किसी व्यक्ति कि कामुक नजर नहीं होगी“.…… श्री अशोक रक्ताले…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..
रहस्य
“टूट सकता हूँ मगर झुकना नहीं मंज़ूर है,
हाँ मैं ‘आर्य’ हूँ, मुझे इस बात का ग़ुरूर है”
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“आज हूँ तंगहाल-तंगदस्त क्यूँ, जानते हो?
मेरा ख़ुद्दार ज़मीर तलवे कभी न चाट सका”
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फूट डाल कर लूटोगे फिर ऐसा हर अरमान छोड़ दो
निकलो-भागो, लौट के जाओ मेरा हिन्दुस्तान छोड़ दो
…श्री संदीप द्विवेदी ‘वाहिद काशीवासी’
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निर्मल ह्रदय
“स्वप्न जीवन में अग्रेतर उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. अपना सपना स्वयं देखिये और उन्हें पूरा भी कीजिये. सपनो के सौदागरों से सावधान“
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“यदि आप अपने चरित्र को संरक्षित कर सके तो जीवन में सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने से आप को कोई रोक नहीं सकता“
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“आप कैसे हैं यह आप के कार्य एवं व्यव्हार से परिलक्षित होता है, किसी के प्रमाण पत्र की आवश्यकता शेष नहीं रह जाती है. अच्छा करो अच्छा बनो“
श्री प्रदीप सिंह कुशवाहा
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बौद्धिक स्तंभ
“कहा जाता है कि मानव में दैवी व दानवी दोनों ही गुण विद्यमान रहते हैं. यदि व्यक्ति के दैवी गुण अधिक प्रबल हैं तो वह सज्जन के रूप में समाज में अपनी भूमिका का निर्वाह करता है और यदि पाशविक प्रवृत्ति प्रबल हो तो वह दानव का रूप धारण कर लेता है“
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“सरकार को झुकना होगा आखिर सरकार के प्रतिनिधि हमारे ही द्वारा निर्वाचित हैं तो उनकी मनमानी क्यों?“
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“आज रिश्वत के रूप में पनपने वाले भ्रष्टाचार का खून सबके मुख पर लग चुका है ……… उसके लिए उत्तरदायी हम सभी हैं“
श्रीमती निशा मित्तल
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संस्कृति
“हमने अपने निर्देशक को
दुनिया फिर दिखलाई
ये है “सर ” जी वचपन अपना
ये है भरी जवानी
पेट में जब कूदें चूहे तो
याद है आती नानी“
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“पाक -बांगला चीन का बार्डर
कारगिल-स्विस तक सभी घुमाया
दो रोटी- की खातिर हमने
बच्चे-कुत्ते लड़ते कैसे
कूड़ेदान – दिखाया“
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“गौरव, मान, दर्द ना समझे
क्या मानव -मानवता ??
जितनी शक्ति अरे ! लगा दो
ला समाज में समता !!“
श्री सुरेन्द्र शुक्ल “भ्रमर”५
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जनयत्री
“प्रेम की राह बड़ी ही कठिन और निराली है………! इसमें अहंकार ,लोभ ,व स्वार्थ को कोई स्थान नहीं है त्याग , समर्पण की भावना का ही समावेश है…….वही प्रेम सच्चा ,उच्च और महान है……. !“
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“जब गूँज उठेंगे सप्त स्वर गगन में
होगी सृजित कोई नव सृष्टि जग में“
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“फंसा अगर कहीं तू ‘दलदल’ में तो क्रोध न दिखाओ ,
जय होगी तेरी बुराइयों पर मानवता के वाण चलाओ |
कौरव पांडव सभी यहाँ महाभारत का रणक्षेत्र बनाओ ,
असंख्य कौरव देख असमंजस में न पड़ आगे आओ |“
…………………………………………श्रीमती अलका गुप्ता
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प्रियदर्शनी
“आज की युवती को ये समझना होगा कि वक्त हमारी मुट्ठियों में कैद नही हो सकता,वक्त पर पढाई-लिखाई,वक्त पर भविष्य निर्माण और वक्त पर ही शादी भी जरुरी है“
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“बिकती है हर चीज यहॉ,बस यारों खुदगर्जी का कोई दाम नही है
आजकल इंसान की ज़िदगी में एकपल को भी तो आराम नही है“
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“किसी भी परिस्थिति के आकलन का आधार स्त्री या पुरूष नही…उसका असल कारण होना चाहिए..,बेचारा दोनों में से कोई भी हो सकता है तो दोषारोपण का नजरिया इकतरफा क्यों??,,,,,“
………………………………………...श्रीमती मीनू झा
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इश्वर निंदक
“जीतते नेता यहाँ पर, जाति के आधार पर,
जीतकर सेवा करेंगे , कर रहे व्यापार पर,
मेरे समझ आती नहीं है यह व्यवस्था देश की,
वोट बहुमत में न पाया, बन गई सरकार पर।
नापसंदी का हमें, अधिकार क्योंकि है नहीं,
यह समस्या तो जटिल है, चिंतनिय अत्यंत है।
क्या यही गणतंत्र है, यह किस तरह गणतंत्र है।।“
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“त्यागना होगा सुखों को, कामना बलिदान की लें,
खोलकर सीना सड़क पर, आओगे तब क्राँति आये।“
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“घर घर में ये मेघनाथ औ”, कुम्भकरण रावण देखे,
जितने रावण राम हों उतने, एक राम का क्या होगा?“
…………………………..श्री दिनेश आस्तिक
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सहज ज्ञान
“सब्जी जब महंगी होती है,
सारी दुनिया तब रोती है.
सालन महंगा ही हो जितना,
स्वादिष्ट लगे वह ही उतना!
अब देख खुदा तू इधर जरा,
किसना को भी ढारस तू बढ़ा….
किसना को भी ……“
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“सपनो में तू भी सो जाना,
लहरों में तू भी खो जाना,
लहरें तो आनी जानी है,
जीवन की यही कहानी है.
जीवन की यही कहानी है“
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“भगवान् भोले शंकर का प्रतीक चिह्न शिवलिंग में किसे देखते हो! वहां भी मैं ही हूँ जिन्हें तुम ज्योतिर्लिंग भी कहते हो!“
……………श्री जवाहर लाल सिंह
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आचार्य
संवेदन शीलता जब चुप हो तो कोई प्रतिक्रिया नहीं निकलती ,केवल हाथ पैर हिलता है“
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“जहाँ अत्याचार ,अनाचार का विरोध होता है वहीँ संघर्ष का सूत्रपात होता है“
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“लहर किनारा ढूंढ़ न पाती
सागर में पागल मिट जाती
मिटती बनती चली किनारे
हार बनी है जीत /
हाँ –
हार बनी है जीत/*“
………….श्री कृष्णश्री
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अंतःकरण
“ख़ुदा का नाम लेकर भीड़ से आगे निकल वरना,
जो पीछे रहते हैं वो लोग पहचाने नहीं जाते॥“
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“हबीब बन के ख़ुदा साथ खुद रहे जिसके,
जहां में कोई भी उसको झुका नहीं सकता॥“
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“यहाँ पर चारसू नफ़रत, अदावत और दहशत,
अमन9 के गीत गाने कि ज़रूरत हो रही है॥“
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विलोचन
“बेटियों को तो हम अलंकार में काफी प्रतिष्ठा देते हैं,लेकिन व्यवहार में हम ऐसा नहीं करते.यही स्थिति पेड़ों को लेकर है.पेड़ों की पूजा की जाती है लेकिन जब आस्था पर आवश्यकता भारी पड़ने लगती है तो पेड़ों को काटते भी हैं.“
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“जीवन का व्यापार यही है
जग की सारी प्रणय कहानी
तुममें ही सब छिपा हुआ है
सकल जगत ने यह जानी“
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“हम भी हैं,तुम भी हो
दोनों हैं आमने सामने
किस-किस को ‘किस’ दें
कि बदल जाएँ प्यार के मायने.“
………………………श्री राजीव झा
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ईश पुत्री
“देखना सूख चले गी जब खेतों की नमी,
चाक धरती नहीं वो मेरा सीना होगा,
आयें गे हम फिर दूर उफ़क के घर से,
ख़ुशी बांटी है तो जिंदा भी उसे रखना होगा…….“
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“उम्र जाति रिश्ता जो भी हो,
लुटती तो बस है नारी,
सबके सर बद्नज़र का खंजर,
शिष्या बेटी या बहना,
अब कब होगी धर्म की हानि,
अब कब आयें गे कृष्णा????“
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“मुझे जिंदगी को हमेशा पॉजिटिव नज़रिए से देखना पसंद है. … हाँ होता है, कभी कभी ऐसी घनी बदली छाती है कि लगता है अब कभी उजाला होगा ही नहीं….लेकिन कुदरत का नियम है, एक के बाद दूसरा मौसम आता जाता रहता है..सूरज चाँद को भी ग्रहण लगते हैं..लेकिन धरती रुक तो नहीं जाती“
…………………..श्रीमती सरिता सिन्हा
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सौदामनी
बहुत कम स्त्रियाँ ऐसी हैं जो अपने वादे को पूरा करती हैं क्यूंकि वो हर पल कहीं ना कहीं बट्टी होती हैं“
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“ना हो मायूस ऐ बन्दे क्रांति हम ही लायेंगे,
जियेंगे तो वतन के लिए वरना वतन पे मर जायेंगे !!“
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होंगी ज़माने की खुशियाँ तेरे चारों तरफ
पर एक मैं ही बदनसीब उन्हें देख ना पाउँगा
ऐ मुझ पर सितम करने वाले इतना तो बता दे
क्या तुझे एक पल के लिए भी मैं याद आऊंगा ?
तेरे लिए मैं मौत से भी गुजर जाऊंगा“
…………………………………..श्रीमती प्रवीन मलिक
आदरणीय वाहिद सर और परम आदरणीय शाही सर से बस एक ही निवेदन करूँगा…………….खुद के लिए नहीं तो हमारे लिए ही वापस आ जाएँ …………………..
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