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इधर लादेन मारा गया, उधर पूरे अमेरिका में जश्न की शुरुआत हो गई। ऐसा लग रहा है मानों अमेरिकियों ने दुनिया फतह कर ली है। दुनिया भर के अखबार लादेन की मौत की खबरों से रंगे हुए हैं। पर लाख टके का सवाल अभी वही है कि क्या लादेन के खात्मे के साथ ही दुनिया से आतंकवाद भी खत्म हो गया है। नहीं, आतंकवाद का नासूर दुनिया में इस कदर अपनी जड़ें जमाए हुए है, कि उसे एक लादेन की मौत से खत्म नहीं किया जा सकता है। लादेन की मौत ने केवल अमेरिकी गुरूर को पूरा किया है और 9/11 की राख को ठंडा किया है।
दरअसल ओसामा बिन लादेन ने आतंकवाद का जो अंपायर खड़ा किया है, उसे नेस्तनाबूद कर पाना शायद एक अकेले अमेरिका के बस में नहीं है। उसने अपने पीछे इतने सिपहसालार तो खड़े कर ही लिए हैं, जो उसके न होने पर भी आतंकी मकसद को बदस्तूर जारी रखेंगे। इसलिए दुनिया से आतंकवाद को खत्म करने के लिए दुनिया के सभी मुल्कों को एकसाथ आना होगा।
वैसे जिस तरह से अमेरिका ने पाकिस्तान को बिना विश्वास में लिए उनकी ही राजधानी के पास अपना ऑपरेशन पूरा किया, उससे एक बात तो सिद्ध होती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति से कुछ भी किया जा सकता है। अमेरिका के लिए लादेन को को मारना एक चुनौती के साथ साथ सम्मान का विषय बन चुका था। लादेन को मारकर उन्होंने आतंकवाद के सरपरस्तों को यह संदेश भी दे दिया है कि अमेरिका के खिलाफ उठने वाले किसी भी सर को इसी तरह से कुचल दिया जाएगा। दूसरा यह भी कि उनके लिए दुनिया के मुल्कों की सीमाएं मायने नहीं रखती हैं।
हालांकि लादेन का पाकिस्तान में मारा जाना, हमारे पड़ोसी मुल्क के लिए शर्मिंदगी की बात है, क्योंकि वो शुरू से ही कहता आ रहा है कि लादेन से उसका कोई लेना देना नहीं है। पाकिस्तान ने हमेशा जोर देकर कहा है कि वो अपनी जमीन का उपयोगी आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं करने देगा। हालांकि इस ऑपरेशन के बाद पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तानी हुक्मरानों की भी भद पिटी है। अभी हाल में ही एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने भी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को आतंकी संगठन की तरह काम करने की संज्ञा दी थी। इस घटना से यह तो तय हो गया है कि पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए सरपरस्ती का काम कर रहा है। संभव तो यह भी है कि अब अमेरिका के दुश्मनों की फेहरिस्त में उसका नाम भी शामिल हो जाए।
अमेरिकी रणनीतिक अब यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि आखिर कैसे पाकिस्तानी प्रशासन ओसामा के पाकिस्तान में रहने से अनभिज्ञता जता रहा था। क्यों अमेरिकी शक की सूई को हर बार अफगानिस्तान की ओर घुमाता था।
जो भी हो, पर ओसामा बिन लादेन की मौत से सबसे ज्यादा फायदा अमेरिका और बराक ओबामा हो होगा, लेकिन इसका नुकसान दक्षिण एशियाई मुल्कों खासतौर पर हमारे देश को भुगतान पड़ सकता है। अलकायदा अपने नेता की मौत का बदला लेने के लिए कुछ भी करेगा। हो सकता है कि दुनिया भर में अमेरिकी नागरिकों और अमेरिका के मित्र देशों को निशाना बनाया जाए। हालांकि इससे पाकिस्तान भी अछूता रहे, ऐसा संभव नहीं दिखता है।
अब देखना यह है कि लादेन के बाद आतंकवाद क्या राह पकड़ता है और अमेरिका की रणनीति पाकिस्तान और चरमपंथियों के लिए अब क्या रहेगी।
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