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शहरी विकास का खेल

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कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (सीएजी) की पिछले साल जारी की आखिरी रिपोर्ट में देश में शहरी विकास के नाम पर हो रहे घपले की पोल खोली गई थी। सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने देश के कई शहरों में विकास के लिए जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिनुवल मिशन (जेएनएनयूआरएम) नाम की योजना चला रखी है। आम बजट में इसके लिए फंड का प्रावधान भी किया गया है। लेकिन असली खेल फंड की राशि को लेकर ही खेला जा रहा है। सीएजी का कहना है कि इस मिशन के तहत जारी फंड को दूसरी योजनाओं में उपयोग किया जा रहा है और कुछ राज्यों में इसे इस्तेमाल ही नहीं किया गया है। जिस वजह से राशि लैप्स हो गई है।

सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक शहरी विकास के लिए शुरू किया गया यह मिशन अपने उद्देश्य से भटककर फ्लॉप हो चुका है। साथ ही इससे जुड़े नोडल मंत्रालयों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी विकास, शहरी गरीबी उन्मूलन और आवास मंत्रालय के बीच आपसी समन्वय की कमी के साथ ही विशेषज्ञता की कमी के चलते यह मिशन विफल हुआ है।

सक्षम नहीं थे मंत्रालय
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस स्तर की वृहद योजना को लागू करने और उसकी मॉनिटरिंग करने की विशेषज्ञता मंत्रालयों के पास न होने की वजह से योजना सफल नहीं हो पाई। इन्हीं कमियों के चलते जेएनएनयूआरएम के लिए जारी फंड को डाइवर्ट करके अन्य योजनाओं में लगा दिया गया।

एक लाख करोड़ का मिशन
गौरतलब है कि इस मिशन को शहरी गरीबों के उत्थान के लिए शुरू किया गया था। योजना आयोग की पहल पर शुरू की गई इस योजना के तहत पूरे देश में एक लाख करोड़ रुपए खर्च करके विकास किया जाना था। जिसमें केंद्र सरकार ने 66084.65 करोड़ रुपए अपनी ओर से दिए थे। लेकिन अब तक इसके लिए 45066.23 करोड़ रुपए ही बजट द्वारा आवंटित किए गए हैं और इसमें से भी 40584.21 रिलीज किए गए हैं।

अधूरे हैं काम
दिल्ली, भोपाल, इंदौर, रायपुर और बिलासपुर जैसे कई शहर इस योजना की जद में हैं। लेकिन कहीं भी यह पूरी नहीं हो सकी है। यहां तक कि राष्ट्रीय राजधानी में भी जेएनएनयूआरएम के कई कार्य अधूरे पड़े हैं। जबकि मिशन का पहला चरण मार्च 2012 में ही खत्म हो जाना तय किया गया था।

आवासीय योजनाएं भी विफल
सीएजी के मुताबिक जेएनएनयूआरएम के तहत देश के कई शहरों को झुग्गी मुक्त बनाने की योजना थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि 82 आवासीय परियोजनाओं में से 73 अब तक अधूरी हैं। और तो और सात शहरों में तो इसे शुरू भी नहीं किया जा सका है।

मनचाहा इस्तेमाल
सबसे ज्यादा अनियमितता जेएनएनयूआरएम के फंड प्रबंधन में बताई गई है। सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि 114.68 करोड़ रुपए का फंड अन्य योजनाओं में खर्च कर दिया गया है। इसी तरह से मई 2010 में आंध्रप्रदेश हाउसिंग बोर्ड को 72.72 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, जिसे बोर्ड ने राज्य सरकार की राजीव गृहकल्प योजना में उपयोग कर लिया है।

क्या है जेएनएनयूआरएम
* दिसंबर 2005 में जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिनुवल मिशन की शुरुआत की गई थी। इसका उद्देश्य देश के शहरों में अधोसंरचना विकास और गरीबी उन्मूलन करना था। इस योजना के तहत स्थानीय प्रशासन को विकास कार्य योजनाएं तय समय में पूरी करना था।
* 2005 से 2012 के बीच इस योजना में एक लाख करोड़ रुपए खर्च किया जाना था। इसके लिए केंद्र सरकार ने 66.09 हजार करोड़ रुपए दिए।
* शुरुआत में इस मिशन को देश के 65 शहरों में लागू किया गया था।
* जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत दो उप-मिशन भी बनाए गए थे, जिसमें शहरी अधोसंरचना और शहरी गरीबों के लिए आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराना था।
* शहरी विकास, शहरी गरीबी उन्मूलन और आवास मंत्रालय को इसके लिए बतौर नोडल एजेंसी काम करना था।

हार्ड फैक्ट्स
* 16.07 लाख रुपए ड्वेलिंग यूनिट्स के लिए जारी किए गए, जिसमें से 4.18 लाख के काम मार्च 2011 तक पूरा होना था। जबकि खर्च हुए केवल 2.21 लाख।
* 56 सीवरेज और पाइपलाइन प्रोजेक्ट अप्रूव किए गए थे, जिसमें से केवल चार ही पूरे हुए हैं।
* 19 सड़कें और फ्लाइओवर बनाए जाने थे, लेकिन चार ही बन सके।
* 37 वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट्स में से तीन ही पूरे हुए हैं।

फेल हुए रिफॉर्म्स
* शहरी विकास मंत्रालय ने जेएनएनयूआरएम की मॉनिटरिंग के लिए वेब आधारित ऑनलाइन सिस्टम विकसित किया था। हालांकि उसने भी दम तोड़ दिया।
* केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी रही।
* अधिकतर डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोट्र्स में पर्यावरण एवं सामाजिक प्रभावों का कोई उल्लेख नहीं किया गया था।

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