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2014 की राह पर राजनाथ-मोदी

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दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी के बीच रविवार को मुलाकात हुई। कहने के लिए मोदी राजनाथ सिंह को बधाई देने आए थे, लेकिन मुलाकात के बाद दोनों ने साफ कर दिया कि उनके बीच लोकसभा चुनाव को लेकर लंबी चर्चा भी हुई। हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि क्या राजनाथ सिंह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी भाजपा को लोकसभा चुनाव जीता पाएगी?

इस सवाल का सटीक जवाब लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद ही पता चलेगा। सूत्रों के मुताबिक भाजपा में अंदरखाने नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार की कमान सौंपने की तैयारी चल रही है। यह सारी कवायदराहुल गांधी को टक्कर देने के लिए की जा रही है। खास बात यह है कि इस जोड़ी की नजर यूपी पर भी है।

दरअसल 80 लोकसभा सीट वाला उत्तरप्रदेश केंद्र में सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फिलहाल वहां पर भाजपा के खाते में केवल 10 सीटे हैं। लिहाजा पार्टी का एक वर्ग चाहता है कि नरेंद्र मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी की सीट लखनऊ से चुनाव लड़ें ताकि यूपी में भाजपा का कुम्हलाया कमल फिर से खिल सके। मतलब पहली नजर में राजनाथ सिंह और नरेंद्र मोदी के बीच ऑल इज वेल नजर आ रहा है, लेकिन क्या वाकई जिस तरह दोनों गले मिले उसी तरह दोनों के दिल मिल चुके हैं।

इस सवाल की शुरुआत तब हुई जब राजनाथ सिंह पहली बार भाजपा के अध्यक्ष बने थे। तब राजनाथ सिंह ने मोदी को केंद्रीय संसदीय बोर्ड से हटा दिया था। इसके अलावा मोदी के करीबी अरुण जेटली को प्रवक्ता पद से हटा दिया था, जिसके बाद दोनों के रिश्तों में जबरदस्त खटास आ गई थी।

हालांकि, हाल के दिनों में मोदी और राजनाथ सिंह के रिश्तों में सुधार आया है। मोदी ने चुनाव से पहले स्वामी विवेकानंद विकास यात्रा निकाली थी और उसके उद्घाटन में उन्होंने राजनाथ सिंह को ही मुख्य अतिथि बनाया था। बाद में चुनाव प्रचार में भी राजनाथ सिंह ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

इसके बदले मोदी ने भाजपा अध्यक्ष के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। खबर है कि जब गडकरी के नाम पर विवाद हो गया था तब मोदी ने अपनी पहली पसंद राजनाथ सिंह को बताया और उनकी सहमति मिलने के बाद राजनाथ सिंह का अध्यक्ष बनना तय हो गया। इससे यह तो जाहिर है मौजूदा समय में राजनाथ सिंह और नरेंद्र मोदी की दूरियां काफी हद तक मिट चुकी हैं।

मोदी के नाम पर विरोध
नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के मुद्दे पर भाजपा के नेता सार्वजनिक तौर पर साफ-साफ कहने से बचते रहे हैं। लेकिन यशवंत सिन्हा उनके समर्थन में पूरी तरह से सामने आ गए हैं। उनका कहना है कि मोदी की प्रधानमंत्री उम्मीदवारी का समर्थन कर वह देश और पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं। सिन्हा ने अपनी राय ऐसे वक्त जाहिर की, जबकि पार्टी के नए अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी इस मुद्दे पर खुल कर बोलने से बचते रहे हैं।

मोदी का मिशन 2014
उधर, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय राजनीति में आने के संकेत दे दिए हैं। भाजपा के नए अध्यक्ष राजनाथ सिंह को बधाई देने के लिए मोदी दिल्ली गए थे। गौरतलब है कि हाल ही में एक सर्वे में इस बात का खुलासा किया गया है कि नरेंद्र मोदी देश के अगले प्रधानमंत्री के रूप में सबसे चहेते राजनेता हैं और उन्हें देश के करीब 57 प्रतिशत लोग प्रधानमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं। इस सर्वे के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है और इसको लेकर पार्टी के आला नेताओं में भी सुगबुगाहट है कि अगर मिशन-2014 को कामयाबी की मंजिल तक पहुंचाना है तो नरेंद्र मोदी को आगे लाना होगा।

लोकसभा चुनावों की तैयारी
घमासान से उबरने की कोशिश कर भाजपा अब अगले लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने में जुट गई है। वहीं संघ की मंशा है कि राजनाथ-मोदी-गडकरी तीनों ही अहम भूमिका में रहकर पार्टी के अन्य बड़े नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, वेंकैया नायडू और सज्ी राच्यों के मुख्यमंत्री या उस पद के दावेदारों को भी साथ लेकर चलें।

इनकी बदौलत राज’नाथ
मोहन भागवत : नितिन गडकरी की कंपनी पूर्ति समूह पर दोबारा छापे की कार्रवाई के बाद भाजपा के अंदर ही उनके नाम पर विरोध शुरू हो गया। राजनाथ का नाम आगे किया गया, जिस पर अंतिम समय में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी हामी भर दी।

लालकृष्ण आडवाणी : गडकरी को दूसरा कार्यकाल दिए जाने के पक्ष में नही थे। राजनाथ के नाम पर उनकी सहमति भी भारी साबित हुई।

सुषमा स्वराज : सुषमा को राजनाथ के काफी करीब माना जाता है। इसलिए सिंह के नाम पर उनकी सहमति तो पहले से ही थी। आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर भी वो संगठन की जिम्मेदारी नहीं चाह रही थीं।

अरुण जेटली : राजनाथ और जेटली के बीच संबंधों को इतिहास खटास भरा रहा है। लेकिन मोदी से नजदीकी के चलते जेटली को राजनाथ का समर्थन करना पड़ा।

नितिन गडकरी : भाजपा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद गडकरी चाहते थे कि कुर्सी राजनाथ को ही मिले। संघ की वजह से दोनों के बीच समीकच्रण अच्छे रहे हैं।

लव-हेट रिलेशनशिप
जनवरी 2007: तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोदी को पार्टी के संसदीय बोर्ड से हटा दिया था। मोदी समर्थक अरुण जेटली को भी उन्होंने राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से हटा दिया था।

दिसंबर 2007: गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान राजनाथ ने मोदी के पक्ष में कुछ नहीं किया। नतीजतन रिश्तों में खाई बढ़ती चली गई।

2009 लोकसभा चुनाव: इन चुनावों में राजनाथ सिंह और नरेंद्र मोदी ने एक साथ चुनाव प्रचार किया था, लेकिन दोनों के बीच लगभग संवादहीनता बनी हुई थी।

दिसंबर 2012 : गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान राजनाथ सिंह ने भी प्रचार में हिस्सा लिया था। यहां उन्होंने मोदी की खूब तारीफ की थी।

23 जनवरी 2013: राजनाथ सिंह को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया और मोदी सबसे पहले उन्हें बधाई देने पहुंचे थे।

27 जनवरी : मोदी, राजनाथ से मिलने उनके दिल्ली स्थित निवास पर गए थे। इसके बाद सिंह ने कहा था कि वो मोदी को संगठन में और अधिक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपना चाहते हैं।

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