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यह भी सच है

आपका पन्ना
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संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि दुनियाभर में आज भी एक अरब से अधिक लोग शहरी स्लम बस्तियों में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। यदि सरकारों ने समय रहते इन्हें नियंत्रित नहीं किया तथा इनके पुनर्वास की व्यवस्था नहीं की तो अगले 30 साल में इनकी संख्या दोगुनी हो जाएगी। संयुक्त राष्ट्र एक अक्टूबर को विश्व आवास दिवस के रूप में मनाता है।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार इन शहरी बस्तियों में रहने वाले लोग भय, असुरक्षा, गरीबी और मानवाधिकारों से वंचित जीवन जी रहे हैं जहां मूलभूत आवश्यकताओं का भारी अभाव है तथा हिंसा व अपराध एक गंभीर समस्या बनती जा रही है।
संयुक्त राष्ट्र ने इस साल विश्व आवास दिवस का विषय या थीम एक सुरक्षित शहर ही वास्तविक शहर’ चुना है। वास्तव में यह विषय मानव बस्तियों की हालत पर नजर डालता है। संयुक्त राष्ट्र ने शहरी सुरक्षा, सामाजिक न्याय खासतौर पर शहरी अपराध और हिंसा, बलात् निष्कासन, असुरक्षित शहरी निवास के साथ साथ प्रकृति व मनुष्यजन्य आपदाओं के प्रति जागरूकता और इस बारे में प्रयासों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ही एक ‘सुरक्षित शहर ही वास्तविक शहर’ विषय चुना है।
वर्तमान समय और परिस्थितियों में अधिकतर शहरों में भय और असुरक्षा का एक प्रमुख कारण अपराध और हिंसा है। संयुक्त राष्ट्र ने इस साल विश्व आवास दिवस-2007 के अंतरराष्ट्रीय आयोजन का नेतृत्व नीदरलैंड की राजधानी हेग शहर को सौंपा है। इस अवसर पर वहां एक सम्मेलन का आयोजन किया गया है, जिसमें सभी स्तर के पेशेवर लोगों को आमंत्रित किया गया है जो विकसित और विकासशील देशों में शहरी सुरक्षा और बचाव में आ रही चुनौतियों पर अपने विचार रखेंगे।

अब आप ही बताइए देश कैसी तरक्की कर रहा है।

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