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सपनों के टूटे कांच चुभते हैं दिल में

आपका पन्ना
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जब सपने टूटते हैं तो तकलीफ होती है
सपनों के टूटे कांच चुभते हैं दिल में
लेकिन हर बार की तरह हम सपने देखते हैं
और महसूस करते हैं उस चुभन को
मैने भी हर बार यही किया
और जगा दिया गया हर बार सपनों के टूटने से पहले
लेकिन क्‍या मुझे कोई हक नहीं है अपने सपनों को एक नाम देने का
नहीं मुझे कोई हक नहीं है
मेरे सपनों की नींव किसी की सच्‍चाई पर नहीं हो सकती है
हर बार मैं गलती करता हूं सपने देखना का
लेकिन अब नही
हां मुझे कोई हक नहीं है सपने देखने को

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