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नीलामी

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उसका सब कुछ सरे बाज़ार नीलाम हो गया ,
भावना, वेदना , दुःख , सुख , प्रठिस्था

और वो सब कुछ जो उसका अपना था
अब न जाने वो कहाँ होगा ? कैसा होगा?

कभी ये सब उसका खेल ही था,
भावनायों से अच्छा मेल ही था,

जो सभी उसके अपने थे

अब जब जिन्दगी उसकी नाकाम सिध हुई
तभी सरेबाज़ार उसकी “नीलामी” हुई !!

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