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चुनाव मे सुधार की आवश्कता

मेरी कलम से
मेरी कलम से
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निकाय चुनाव सभी जगह समाप्त हो चुके है ओर जीते प्रत्यशी भी घोषित हो चुके है हर बार कोई भी प्रत्यशी अपनी मर्जी से चुनाव मे पार्टी के सिम्बल से या निर्दलीय खड़ा हो जाता है कोई शैक्षिक योग्यता तय नहीं की जाती अबकी बार जो प्रत्यशी घोषित हुए है उनमे अधिकांश निरक्षर भी है जैसे कि govt की साइट  पर दिखाया गया है इनमे चैरमेन से लेकर सभासद तक के सभी पद शामिल है वा रे हमारे देश के व्यवस्था,अरे जो व्यक्ति खुद निरक्षर है वो अपने क्षेत्र मे क्या विकास करेगा उसने तो अपना ही विकास नहीं किया।

इस सारी कार्य प्राणली मे मैदान मे खड़े प्रत्यशी की कोई गलती नहीं है उसको ऐसा मौका दिया,गलती है  हमारे देश के सिस्टम की जिसका कभी इस ओर ध्यान ही नहीं गया ओर वर्षो से यही चला है रहा है इसी तरह विकास हो रहा है,

पूरे देश के अन्दर किसी भी प्रकर का चुनाव हो सारे चुनाव की प्रक्रिया का यही हाल है वरना एक IPS अधिकारी एक अनपढ़ नेता की हाथ की कतपुथिली बनकर ना रह गया होता, सारा पुलिस डिपार्टमेंट वो चाहे कितना भी काबिल क्यो ना हो लेकिन चलता है नेताओ के इशारे पर

हमारे देश के सिस्टम को, चुनाव आयोग को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है वरना वो दिन दूर नहीं जब कोई शिक्षित ही होना नहीं चाहेगा ओर पूरा देश डिजिटल साक्षर तो क्या साक्षर भी नहीं होगा ।

अंजलि रूहेला

अम्बैहटा पीर

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