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गर्मी बढ़ते ही बिजली ने आँख मिचौली का काम शुरू कर दिया है जिस दिन गर्मी अपना भयंकर रूप दिखती है उसी दिन बिजली रात दिन मे ना जाने कितने ही कट लगाती है, लेकिन कुछ भी हो बिजली महीने मे कितने दिन आई,दिन मे कितने घंटे आई, इसका कोई रिकोर्ड विभाग के पास नहीं होता है इसके बावजूद बिजली का जो बिल है वो हर महीने की एक निश्चित तिथि को उपभोगता को दे दिया जाता है
दूसरी ओर हर माह बिजली के बिल मे उपभोगता दावरा इस्तेमाल मे लायी गयी बिजली का मूल्य व एक फिक्स रेट जो विभाग की तरफ से सेट किया गया है दोनों जुड़ कर आते है, मतलब अगर किसी माह मे उपभोक्ता ने बिजली का उपयोग किया ही नहीं फिर भी उसको एक निश्चित बिल का भुगतान तो करना ही है
वही जो उपभोगता हर माह अपने बिल का भुगतान समय से करते है उनको कोई छूट का प्रावधान नहीं लेकिन जो उपभोगता अपना बिल समय से भुगतान नहीं करते है सालो-सालो का बिल इकट्टा कर लेते है फिर उन्हे भुगतान के समय छूट दी जाती है उनको उकसाया जाता है कि अपना बिल छूट के साथ जमा करे, जिसका जितना ज्यादा बिल उसको उतनी ही ज्यादा छूट
ये जो तरीके विभाग ने अपनाए हुए है ये नियम जो बनाए हुए है ये नियम नहीं है ये तो देश को बर्बाद करने के तरीके है.
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