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देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने सभी देश के नागरिकों से आग्रह किया है कि ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी उत्पाद को ही काम मे लाये, अपने देश मे ही उत्पादन को बढ़ावा दे, अपने देश में बने सामान को ही खरीदे। उनकी इस अपील पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों ने सबसे पहले काम करना शुरू कर दिया है। इन बलों की कैंटीन और स्टोर्स पर अब केवल स्वदेशी उत्पाद ही मिलेंगे।
एक संकल्प, एक लक्ष्य और आत्मनिर्भर भारत, अब सब लोग इस मुहिम पर काम करेंगे। बहुत अच्छा निर्णय लिया गया, देश मे आये हुए इस संकट के समय को अवसर में बदलने के लिए प्रधानमंत्री जी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का नारा दिया है जिससे देश की अर्थव्यवस्था में एकदम बहुत बड़ा उछाल आ सकता है देश की उन्नति का विषय है सोचना भी चाहिए।
इन बड़े बड़े लोगो की बातों को सुनते ओर सोचते हुये एक बात समझ नही आयी कि जब विदेशी उत्पाद से हमारे देश को इतना नुकसान हो रहा था हमारी अर्थव्यवस्था पर इतना फर्क पड़ रहा था तो इन उत्पाद को आयत ही क्यों किया जा रहा था, इनको भारतीय बाजार में जगह ही क्यों बनाने दी गयी, मीडिया का उपयोग करते हुए इनके प्रचार क्यो किया जाता है इन विदेशी प्रोडक्ट के जनता को गुण क्यो समझाये जाते है, अपने पैरों खुद कुलाड़ी मारने जैसी बात हो गयी।
आम जनता को क्या मालूम की कौन सा उत्पाद स्वदेशी कौन सा उत्पाद विदेशी, इनको तो इस्तेमाल करने से मतलब, ओर फिर हमारे देश में कुछ उत्पाद तो ऐसे है ही कि बाहर से आयात ना करने पड़े फिर भी क्यो किये जाते है जैसे साबुन काफी भारतीय कंपनी है जो इसका निर्माण करती है जब काफी मात्रा में ये हमारे देश मे उपलब्ध है तो बाहर से क्यो मंगवाया। अगर मात्रा कम पड़ती है, इन्ही कंपनियों के विस्तार के बारे में क्यो नही सोचा गया और भी काफी संख्या में अलग अलग प्रकार के प्रोडक्ट बाजार में है जो स्वदेशी है।
फिर भी उन्ही के पास विदेशी प्रोडक्ट भी बाजार में रखे हुए है, लेकिन फिर एक कहावत है-“देर आये दुरुस्त आये” अब ये सटीक बैठ जाये तो भी अच्छा ही है…विदेशी प्रोडक्ट को बाहर का रास्ता दिखाये, मीडिया के द्वारा इनके प्रचार प्रसार पर तत्काल रोक लगा देनी चाहिये और इन प्रोडक्ट का आयात बन्द कर देना चाहिए।
“स्वदेशी अपनाये देश बचाये”
अंजलि रुहेला
अम्बेहटा पीर
नोट : इन विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं।
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