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कोरोना में सरकारों ने मजदूरों के साथ अपना दायित्व नहीं निभाया!

मेरी कलम से
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कोरोना महामारी की मार से हर कोई परेशान है। कोई किसी तरह से तो कोई किसी तरह से, लेकिन इन सबसे अधिक परेशान जो हुआ है वो है देश का मजदूर। मजदूर अपने अपने घरों को छोड़ कर अपनी जीविका चलाने के लिए कमाई करने के लिए दूर दूर तक चले जाते हैं। लेकिन इस कोरोना महामारी ने मजदूरों का जीना मुहाल कर दिया है।काम बंद हो गये हैं। खाने को पैसे नहीं रहे और सरकार से कुछ मदद नहीं मिल रही है। खुद ही पैदल चल कर मजदूर अपने अपने घरों की ओर आने को मजबूर हैं,क्योंकि अपने गांव में रहेंगे तो कम से कम भूखे तो नहीं मरेंगे।

 

 

उनको घर लाने की कोई उचित व्यवस्था सरकार ने नहीं की है। और ना ही कुछ करती नज़र आ रही है।ट्रेन, बस चलाई मजदूर के नाम से ताकि वो अपने घरों को पहुँच जाये लेकिन उनसे ट्रेनों का किराया वसूला जा रहा है। अगर उनके पास ट्रेनों का किराया होता तो वो वहां भूखे ना मरते।कड़ी धूप में चलने को मजबूर ना होते, पैदल चलकर थक कर सो गए तो उनके ऊपर रेलगाड़ी,बस चढ़ा दी गयी वो बेचारे बेमौत मारे गये।

 

 

इन सब समस्या का हल निकल सकता था अगर राज्य सरकारें अपने अपने राज्य की तरफ भी ध्यान दे लेती, ना उनके खाने की व्यवस्था की गई न उनके रहने की ।वो सड़कों पर सोने को मजबूर हुए हैं और इस वजह से उनके साथ दुर्घटनाएं भी हुईं हैं।इन सब में साफ साफ सरकार की लापरवाही नज़र आ रही है।अगर सरकारें अपने संसाधन का बखूबी उपयोग करतीं तो इस तरह मजदूरों के जीवन के साथ खिलवाड़ न होता।।

-अंजलि रुहेला
अंबेहटा पीर (सहारनपुर)

 

 

 

नोट : यह लेखक के निजी विचार हैं और इसके लिए वह स्वयं उत्तरदायी हैं।

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