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शनिवार को पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंग उत्कल एक्सप्रेस खतौली रेलवे स्टेशन से करीब सात सौ मीटर दूर जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो गयी, ट्रेन के तेरह डिब्बे पटरी से उतर गए थे। हादसे मे 32 लोगों की मौत हो गई थी और जबकि सैकड़ों लोग घायल हो गये, ये तो गया जनता का नुकसान।
खुद रेलवे विभाग को भी लगभग 25 करोड़ को फटका लगा है, क्योंकि रेल के कई कोच बहुत बुरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो गये थे। अब बात यह है कि जनता का भी काफी नुकसान हुआ और रेलवे विभाग का भी। रेलवे तो अपने नुकसान की भरपाई कर लेगा, लेकिन वो परिवार जिनसे उनके अपने सदा के लिए बिछड़ गये, उनकी भरपाई कैसे होगी। इस पूरे घटनाक्रम के पीछे जिम्मेदार कौन है।
वे लोग जो अपनों से बिछड़ गये, क्या कोई मुआवजा या कोई कड़ी निंदा वापस ले आयेगी। नहीं कभी नहीं और ये हादसा पहली बार नहीं है। पहले भी इस तरह के हादसे होते आये हैं, होते हैं फाइलों मे दब जाते हैं, फिर गाड़ी रफ्तार पकड़ लेती है।
समझ नहीं आता कि सरकारें बनती क्यों हैं। विभाग क्यों बनाये जाते हैं या ये सब समय काटने का साधन है। बेहतर यही है कि सरकारें और विभाग अपनी- अपनी ज़िम्मेदारी को समझें और रोज़ रोज़ होने वाले ये हादसे सामाप्त हों, वरना वो दिन दूर नहीं जब देश में कोई सिस्टम ही लागू नहीं होगा। जब हर कोई अपनी मर्ज़ी का मालिक होगा। जब अपनी देखभाल खुद ही करनी है तो काहे का मुख्यमंत्री और काहे का प्रधानमंत्री।
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