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पांच वर्ष : क्या खोया क्या पाया?

ankitsrivastava
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आज से लगभग पांच वर्ष पूर्व जब गुजरात के तत्कालीन मुख्मंत्री नरेंद्र मोदी को एनडीए ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपना नेता चुना था तो उन्होंने देश की जनता से सिर्फ पांच साल मांगे थे यकीन करिए सिर्फ पांच साल।भारत को आजाद हुए लगभग 68 वर्ष हो गए थे,देश समय के साथ बदला था पर क्या जितना विकास होना चाहिए था उतना हो पाया था? अगर सिर्फ मूल मुद्दों की बात करे तो आजादी के 70 वर्षों के बाद भी करोड़ों घरों में खाना बनाने का स्वच्छ इधन तक नहीं था,करोड़ों लोगो के घरों में खुशहाली तो दूर शौचालय तक नहीं हुआ करते थे।पीने को स्वच्छ पानी और घरों में बिजली तक नहीं हुआ करती थी,गरीबों के लिए पूर्ववर्ती सरकारे जो मुआवजा देती वो उन्हें कभी मिलता ही नहीं था। आए दिन सरकार और उनके मंत्रियों का नाम किसी न किसी घोटाले में शामिल मिलता था। बेईमानी जैसे हमारा राष्ट्रीय चरित्र बन चुका था,देश तो देश पर विदेशो में भी भारत की छवि एक ऐसे राष्ट्र की थी जो पहले कभी संपन्न हुआ करता था परंतु अब वो एक साधारण देश की तरह जाना जाता था जो अपने आंतरिक समस्या जैसे गरीबी,भ्रष्टाचार,अतांकवाद,बेरोजगारी इत्यादि से जूझता रहा हो। विदेशो में भारत की तरक्की से ज्यादा भारत की समस्याओं का चर्चा होती थी ।नेता,मंत्री बड़े अफसर सिर्फ देश की जनता को बेवकूफ बना कर अपनी तिजोरियों को भरने और अपने परिवार और जाती के लोगो का करियर सेट करने में लगे थे।और हमारे जैसे अनेकों साधारण युवा ये मान चुके थे कि भारत ऐसा ही रहेगा उसका कुछ नहीं हो सकता,और विदेशो में जाके एक अच्छे जीवन की तलाश करते थे।

अचानक एक शक्स अता है जो लोगो से पुर्वर्ती नेताओ के पिछले 70 वर्षों का पाप धोने और देश का कायाकल्प करने के लिए सिर्फ 5 साल मांगता है और लोग उसे सर आंखो पर बैठा के इतिहास बदल देते है और स्वतंत्र भारत पहली बार गैरकांग्रेसी पूर्ण बहुमत की सरकार अती है। सरकार बनने के पहले दिन से ही देश में जैसे परिवर्तन की लहर चलने लगती है। जो काम पहले किसी ने सोचा भी न हो वो होने लगता है,जैसे जरूरतमंदो को सब्सिडी सीधे उनके बैंक अकाउंट में आने लगती है,घर घर शौचालय बनने लगते है, किसानों को फसल नुकसान का मुआवाजा मिलने लगता है, हर गरीब परिवार को घर,हर गरीब को इलाज के लिए पांच लाख मुआवजा मिलने लगता है,सड़क परियोजना और उनके निर्माण की तो जैसे बाढ़ आने लगती है,और ज्यादातर परियोजनाएं अपने तय समय से पहले और कम बजट में संपन्न होने लगती है। ऐसी तमाम से काम और योजनाएं है जिसे अगर गिनने बैठे तो समय कम पड़ जाएगा पर सबसे ज्यादा लोगो को जो पसंद आई वो विदेशो में भारत का बढ़ता कद और दुनिया का नजरिए में भारत के लिए सम्मान जो पहले कभी इतना देखने को नहीं मिला। आज भारत एशिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है उसके पीछे की वजह मोदी सरकार की विदेशनीति,परिपक्व राजनीति, सेना का समर्थ और अत्याधुनिक हथियारों से लैस होना और देश की उछल लगती आर्थिक स्थिति है जो पिछले पांच सालों में पूरी तरह से बदल गई है।

इन पांच वर्षों में मोदी सरकार की अपार सफलता की मानो झड़ी लगी है पर आरोप भी लगे है। आरोप महंगे कपड़े पहनने का, अत्यधिक विदेश यात्राओं का,तानाशाही रवैए का,सारे ढकोसलेबाज नेताओ की दुकानें बंद करा देने का,ना घूस खाऊंगा ना खाने दूंगा का,सरकारी कर्मचारियों को समय से दफ्तर आने जाने का, अफसरशाही में कमी का। परन्तु पिछले 68 वर्षों से भारत की जो मुख्य समस्या थी उसका एक भी आरोप नहीं जैसे भ्रष्टाचार का, बिगड़ी अर्थव्यवस्था का,सरकारी तंत्र की लेट लतीफी का।

अगर किताबी और नैतिकता के सिद्धांतो की माने तो ये सारे आरोप एक तरह से सम्मान है,किसी भी प्रशासन या शासन के लिए।आज देश में पहली बार लोगो से ज्यादा नेता परेशान है क्योंकि उन्हें लगता है अगर जनता को मोदी और उन जैसे नेताओं की आदत लग गई तो उनकी पुरानी दुकानें पूरी तरह बंद हो जाएंगी। इसलिए जहा एक तरफ मोदी सरकार विश्व के बड़े नेताओं से भारत के विकास के लिए गठबंधन कर रहे वहीं भारत में सारा का सारा विपक्ष अपने अस्तित्व को बचाने के लिए मोदी सरकार के खिलाफ गठबंधन कर रही। हद तो तब हो गई जब देश हित के मुद्दों को भी सिर्फ इस लिए विरोध होने लगा क्योंकि कैसे भी मोदी को रोका जाए। राजनीतिक विरोध इस समय राष्ट्रविरोध का रूप ले चुका है।विपक्षी नेता और उनके समर्थक,मोदी विरोध में पाकिस्तान के सुरो में सुर मिलाने से भी परहेज नहीं कर रहे।

पाकिस्तान को अलग थलग करने की मुहिम जो मोदी सरकार ने शुरू की थी उसका फल उस समय देखने को मिल गया जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के अतांकी ठिकानों पर हमला किया और दुनिया के लगभग सारे बड़े देश भारत के साथ खड़े हो गए यहां तक कि पाकिस्तान का मित्र देश चीन भी साफ साफ पाकिस्तान से इस मसले पे कन्नी काट लिया। ये मोदी सरकार की सफल और ताकतवर कूटनीति और विदेशनीति थी,या ये कहे की मोदी का सारे बड़े देशों के राष्ट्र नेताओ से गर्मजोशी संबंधों का नतीजा है तो ये ग़लत नहीं होगा।आज दुनिया का हर बड़ा नेता प्रधानमंत्री मोदी को अपना मित्र कहता है जोकि पहले बहुत काम सुनने को मिला होगा।

कहते है ना अच्छा समय कब बीत जाता है पता नहीं चलता। चुनावी बिगुल बज चुका है,मोदी सरकार के 5 साल खत्म होने को आए है।देश फिर से भारत का प्रधानमंत्री चुनने को तैयार है। तो सबसे बड़ा प्रश्न ये बनता है कि क्या इस बार भी मोदी या फिर कोई और?कोई और उनमें से,जो देश को पुराने ढर्रे से चलाते और लूटते आए है या फिर वो जो देश को अभूतपूर्व नई ताकत देने के लिए 18 -20 घंटे काम कर रहा है। वो जिनके नाम पर भ्रष्टाचार की फाइले खुलती जा रही और वो जमानत पे घूम कर संसद में आंख मारने में मस्त हो या फिर वो जिसपे आज तक भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा,बल्कि जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ खुली जंग छेड़ दी है।वो जिसे जनता में धर्म,जाती,वर्ग के आधार पर वोटबैंक दिखता है या फिर वो जो हर इंसान को एक नजर से देखता है। वो जो पाकिस्तान प्रेषित अतंकवाद के खिलाफ सिर्फ निंदा के अलावा कुछ नहीं करता हो,या फिर वो जो दुश्मन के घार में घुस कर उसे मारने की हिम्मत और नीयत रखता है।और अंत में वो जिस पाकिस्तान भारत का प्रधानमंत्री बनना चाहता है या फिर वो जिसे भारत का हर राष्ट्रभक्त प्रधानमंत्री चुनना चाहता है।

समय आ गया है देश की जनता को सोचना और तय करना होगा की उन्हें कैसा भारत अपने और अपने बच्चो के लिए चाहिए? मोदी सरकार की छोटी मोटी बातो को अनदेखा कर के उससे एक बार फिर से मौका देना चाइए या फिर भारत को उसी पुराने ढर्रे से चलाने वाले नेताओं के हवाले कर देना चाहिए। नव भारत के भव्य निर्माण की नीव पड चुकी है और पूरी इमारत बनाने में कुछ वक़्त और लगेगा ही। अब देशवासियों को अपना योगदान देनें की सक्त जरूरत है। जोकि सिर्फ हम सही सरकार चुनकर और उसका समर्थन कर के आसानी से कर सकते है।जहा तक अधिकांश लोगो की माने तो एक सच्ची नियत और उसे पूरा करने की हिम्मत और ताकत रखनेवाली सरकार का विकल्प अभी मोदी सरकार के अलावा दूर दूर तक कोई और नहीं दिखता है।

जय हिन्द।।
अंकित श्रीवास्तव।

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