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‘गम और जीवन’

AGOSH 1
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‘करो विचार और तुम देखो, गम जीवन से कितनी दूर है’।

सावन ने बादल से पूंछा ,
गम जीवन से कितनी दूर है ।
बादल की बिजली से दूरी,
बिजली की आकाश से दूरी ।
आकाश की पानी से दूरी ,
पानी की ताल से दूरी ।

करो विचार और तुम देखो———(1)

निंदिया ने आँखों से पूंछा
,गम जीवन से कितनी दूर है ।
आँखों से पलकों की दूरी,
पलकों की आंसू से दूरी।
आंसू की गालों से दूरी,
गालों की चुम्बन से दूरी।

करो विचार और तुम देखो———(2)

तितली ने फूलों से पूंछा
गम जीवन से कितनी दूर है
फूलों की खुशबू से दूरी,
खुशबू की झौकों से दूरी ।
झौकों की पत्तों से दूरी,
पत्तों की डाली से दूरी ।

करो विचार और तुम देखो———(3)

आगोश ने आत्मा से पूंछा
ग़म जीवन से कितनी दूर है ।
आत्मा की शरीर से दूरी,
शरीर की सांसों से दूरी ।
सांसों की मृत्यू से दूरी
,मृत्यू की बन्धन से दूरी।

करो विचार और तुम देखो———(4)

लेखक डॉo हिमांशु शर्मा (आगोश )

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