AGOSH 1
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फुरसत हो अगर हनुमत, मेरे घर भी आ जाना
चार नैनों की जरुरत नहीं ,बस एक नजर रखना
तुम बात करो ना करो, बस मेरी सुन लेना
अपने मन मंदिर में, एक छोटा सा कौना देना
फुरसत हो अगर हनुमत ,,,,,,,,
तुम अंजनी के लाला हो
तुम सबकी सुनते हो
फिर मेरी सुनने मे अंजनी लाला, तुम्हारा क्या जाता है
तुम जगत विधाता हो ,मुझे कुछ नहीं आता है
फुरसत हो अगर हनुमत ,,,,,,,,
मेरे मन मंदिर मे हनुमत रोज उजाला हो
तेरी छवि निहारु मै बस इतना सहारा हो
हर लम्हा खुशी सै गुजरे
बस तुझ पर भरोसा हो
फुरसत हो अगर हनुमत ,,,,,,,,
मैने भी अंजनी के लाला लगाई अर्जी है
तुम आबाद करो या बरबाद ये तुम्हारी मर्जी है
मै भक्त आपका हूँ विश्वाश आप पर है
मेरी डूबती नैया को अंजनी के लाला पार लगा देना
फुरसत हो अगर हनुमत ,,,,,,,,
डॉo हिमांशु शर्मा (आगोश)
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