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ब्राह्मण गुणों की खान है, इनसे कोई दगा करे ना।
ब्राह्मण का वेश धर, लोग अपने को छिपाय रहे।
निजी जाति कर्म बदल, आदि गौड़ बताय रहे।
ब्राह्मण स्वर्ग का मूल है, इनकी सेबा से ध्यान हटे ना।
-(1)
माथे पर लगाई खोड, लोग कहै हम आदि गौड़।
गले में जनेऊ पहने, भीख मांगे ठोर-ठोर ।
घंट माल धारण करें, पोथी लें बगल दबाय ।
ये अजब निराले स्वांग है, करनी के फल मिटे ना।
-(2)
ब्राह्मण रूप धर इंद्र ने, कर्ण से मांग लिये पाँच बान।
ब्राह्मण रूप धर हनुमान ने, राम से लिया भेद जान ।
ब्राह्मण रूप धर सागर ने, राम से लिया अभय दान ।
ब्राह्मण वेद शास्त्रों का मान है, इनकी सेवा से धर्म घटे ना।
(3)
ब्राह्मण की महिमा देखो, परशुराम को ब्रह्म मान रहे।
जिन्दों की बात क्या, मरे हुये मान रहे।
जब दरिद्रता घेरे आन, कथा होम गायत्री करवाय रहे।
जब तक धरन आकाश है, ब्राह्मण की महिमा घटे ना।
(4)
लेखक डॉo हिमांशु शर्मा(आगोश)
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