मेरा मन तो बहुत है इस्तीफा देने का । मगर इशारा तो मिले मेरे यार का ।
“बेइज्जत हुये बैठे हैं यारों के बैठाये कूचे में । कालिख पुत गई मुहँ पर अब ठोकर लग रही है जनाजे में”।
डॉo हिमांशु शर्मा(आगोश)
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