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हम अपनी स्वतंत्रता के इकहत्तर वर्ष पूर्ण होने का जश्न मनाने की तैयारी मे हैं । अर्थात एक अच्छी खासी स्वतंत्र अवधि को हमने जी लिया है। किन्तु संसद से सड़क तक इस बात की चर्चा है कि यह स्वतंत्रता किसने दिलायी । जाहिर है सभी अपनी हैसियत के हिसाब से दावा कर रहे हैं ।सर्वप्रथम मै आप जन के साथ मिल कर उन जाने अनजाने लाखों स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करती हूँ जिनका बलिदान गवाही नहीं मांग रहा है । अब मुख्य मुद्दे पर आते हैं। आजादी की लड़ाई वर्षों लड़ी गयी। हर दौर में इसका नेतृत्व किसी न किसी राष्ट्रभक्त द्वारा किया गया। निर्णायक मोड़ तक पहुँचने पर निःसंदेह इसका नेतृत्व गांधी जी ने किया। इसी के साथ सुभाषचंद्र बोस, भगतसिंह ,चंद्रशेखर आजाद जैसे आजादी के अनेकानेक दीवनों की कुर्बानी को कभी कमतर नहीं माना जा सकता है। किन्तु गांधी की एक आवाज पर लाखों करोड़ों आमजन को स्वतंत्रता के लिए मन कर्म वचन से खड़े हो जाने वालों को भूलना उचित है? आजाद हिंद के फौजियों और देश के लिए हंसते हंसते शहीद हो जाने वाले हजारों चंद्र शेखर और भगतसिंह को भूलना पाप नहीं होगा? निश्चय ही आमजन की ताकत हिम्मत संकल्प बलिवान का परिणाम ही हमारी आजादी है। संसद से सड़क तक वाहवाही लूटने को तत्पर लोगों कृपया हम आमजन की ताकत और हिम्मत को पहचाने,समझें और स्वीकार करें। देश की आजादी जनता के द्वारा, जनता की ,जनता के लिए है। गांधी और सुभाष भी हममें से एक थे। आप भी हममें से एक बनिए, फिर आजादी के जश्न की रोशनी से पूरा देश रौशन हो जाएगा।
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