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प्रवासी समस्या का संबंध मुख्य रूप से मजदूरों, कामगारों, ग़रीबों से है। इसमे सरकारी तंत्र की विफलता और लॉकडाउन के पूर्व किसी योजना का न होना, कोरंटीन केंद्रों की अव्यवस्था, मजदूरों, कामगारों, गरीबों तक सरकारी योजनाओं का न पहुँच पाना बड़े दुख का कारण है।
इसलिए वो पैदल सड़को पर चलने को मजबूर हैं उनको ट्रकों में भूसे की तरह भरा जा रहा है। 2-3 हज़ार रुपये किराया वसूल किया जा रहा है। ऊपर से सड़क दुर्घटनाओ मजदूरों की मौत का सबब बन रहा है सब कुछ सरकार की नाक के नीचे हो रहा है तब भी सरकार जागने का नाम नही ले रही है।
अब सवाल है हम लोग कैसे इस समस्या कैसे हल कर सकते हैं? इसका जवाब है पहले तो इनको घर पहुचाने से पहले कोरंटीन किया जाए इसके लिए कोरंटीन केंद्रों की अव्यवस्था को दूर किया जाए फिर इन्हें सकुशल घर पहुचाया जाए।
इनके स्वयंसेवी संगठनों की मदद से इनको खाने या कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की जाए कि और उचित रोजगार की व्यवस्था की जाए,प्रशासन और पुलिस को अपना रवैया इनके प्रति बदलना होगा,और अप्रवासियों पर राजनीति न करके सार्थक पहलों द्वारा इनकी समस्याओं का निराकरण किया जाए।
©अनुराग शुक्ल,छात्र राजनीति विज्ञान विभाग,काशी हिंदू विश्वविद्यालय
नोट : इन विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं।
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