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मै यह कहना चाहता हूँ कि सरकार जब भी किसी कि जाँच कमिटी गठित करती हैं तो उन कमेटियों में अनुसूचित जाति या अनुचुचित जनजाति का मेम्बर क्यों नहीं नियुक्त किया जाता हैं .या चाहे कोई उच्च शिक्षा कि कमिटी हो या किसी प्रकार कि कमिटी हो कहीं भी यह मेम्बर नहीं बनाते क्यों . मायावती जी ने सही कहा कि जब रोहित वेमुला अनुसूचित जाति का छात्र हैं तो उस जाँच कमिटी में अनुसूचित जाति का मेम्बर क्यों नहीं रखा गया . इसका क्या कारण हैं यह स्मृति ईरानी जी को बताना चाहिए न कि लोक सभा में मायावती जी पर नाराजगी नहीं जाताना चाहिए. सरकार को चाहिए कि किसी भी प्रकार कि कमिटी में इन जातियों का मेम्बर रखा जाये बल्कि किसी भी कमिटी में चारों केटेगरी से एक मेम्बर रखा जाना चाहिय यह सुनिश्चित किया जाये . बल्कि चेयरमैन भी बनाया जाये. तब जाँच सही तरीके से हो सकती हैं अन्यथा कोई भी कमिटी सही जाँच नहीं कर सकती . यही रोहित वेमुला जाँच में भी होगा . क्योंकि जाँच कमिटी में सभी जनरल जाति से हैं वह कभी भी दलित छात्र के हक़ में नहीं देंगे बल्कि आरोपी को बचाने के लिए गलत जाँच दे दी जाएगी जिससे आरोपी बच जायंगे . सरकार को चाहिए कि उस जाँच कमिटी में दलित मेम्बर को रखा जाये नहीं तो दलित लोगों को आन्दोलन करना पड़ेगा जिससे सरकार का नुकसान होगा . मैं दलित लोगों से अपील करता हूँ कि इसके लिए तैयार रहे जिससे इस दलित छात्र को सही न्याय मिल सके . हमें इसके लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक आन्दोलन करना पड़ेगा नहीं तो आरोपी बच जायेगा और इस तरह कि आत्म हत्याए छात्र करते रहेगें क्यों इनका मानसिक उत्पीडन किया जाता हैं चाहे वह विश्वविद्यालय हों या कालेज हर जगह पर या फिर चाहे गांव क्यों न हो हर जगह पर उत्पीडन होता हैं इसलिए हमें मायावतीजी कि बातों का समर्थन करना चाहिय और एक बड़ा आंदोंलन चलाना चाहिए जिससे हर जगह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का मेम्बर नियुक्त किया जाये.
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