Meri Rachanaye
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ज़ज्बा था दुनिया जीत लेने का,और आज फैसला है खुद को खुद से ही जुदा कर लेने का,मंजिलों और रास्ते से अनजान मेरे कदम बड़ते जा रहे हैं,,
काश मिल जाए कोई सही रास्ता मुझे जो ले जा सके मंजिल तक मुझे,आज सागर की उस लहर की तरह हु मैं जो साहिल से टकरा कर वापस सागर में लौट आती है, नहीं मिलती चाह कर भी मंजिल उसे,
उन्ही लहरों की तरह हूँ मैं जो मंजिल तक पहुच कर भी उसे पा न सका
आज भूला हुआ एक किनारा ढूँढता हूँ मैं ,ज़िन्दगी ढूँढ़ते हुए मौत को गले लगाने के ही बस बहाने ढूँढता हूँ मैं, सूनी सूनी राहों पर भटकता हुआ एक राही हूँ मैं, रास्तों से बेखबर एक मुसाफिर हूँ मै।।
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