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अनहोनी घटनाएं भाग-२

Meri Rachanaye
Meri Rachanaye
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नकास्कार दोस्तों आज हम हाज़िर हैं अपने इस लेख जिसका नाम है अनहोनी घटनाएं जिसमे आपको हम उन घटनाओं के विषय में बताएँगे जो सत्य तो है किन्तु उने सत्य ठहराने का हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है, हालाकि अपने इस लेख मैं हमने अभी किसी और की ऐसी घटनाओ को शामिल नहीं किया है किसी ख़ास वज़ह से किन्तु अपने इस लेख में हम फिर आपको वो सत्य बताने जा रहे हैं जो हमारे साथ बीता है और जो पूर्ण रूप से सत्य है हाँ ये बात और है की उसे सत्य सिद्ध करने के लिए हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है किन्तु अगर होता कोई प्रमाण तो वो घटनाएं अनहोनी ही क्यों होति।




हमने सुना है की यदि कोई प्राणी अपनी देह त्यागता है तो २४ घंटे के भीतर उस प्राणी की आत्मा अपने प्रियेजन और अपने उस भोतिक शरीर को देखने अवश्य आती है की उसके शरीर का लोग क्या कर रहे हैं उसके जाने के बाद एवं उसके प्रियेजन उसे याद भी कर रहे हैं या नहीं । पहले हमे इन सब पर यकीं नहीं था, इन सब बातों को हम केवल अपना मन बहला लेने के लिए ही  पड़ते या फिर सुनते थे या फिर टीवी  पे या फिर किसी मूवी पे इस टाइम पास करने के मकसद से ही हम उसे देखते हैं पर ये सब सत्य होता है ऐसा यकीं नहीं रखते थे। पर तकरीबन २ साल पहले ऐसा कुछ हमारे साथ हुआ की हमे यकीं हो चला की जैसे शाश्त्रों में लिखा है की आत्मा २४ घंटे के भीतर अपने द्वारा त्यागे गए भोतिक शरीर को देखने एवं अपने प्रियेजन से मिलने आती है ये सत्य है।


वैसे यहाँ हम पाठकों को बता दे की हम मनोविज्ञान के शिकाशार्थी  रह चुके हैं और इसलिए हमे ये पता है की दिमागी बीमारी क्या होती और उसके क्या लक्षण होते हैं या फिर वहम क्या होता है क्योंकि हमारे इस आर्टिकल को  पड़ने के बाद बहुत से लोग ये कहेंगे की जो कुछ  हमने देखा और महसूस किया वो  वहम था हमारा  जो किसी अपने प्रियेजन के जाने के बाद किसी को भी हो सकता है, किन्तु जो हमने  देखा और महसूस किया वो  हमारा वहम नहीं था अपितु वो सच था जो हम आपसे आज शेयर करना चाहते है।


२० सितम्बर २०११ की सुबह ८:३० हमारी ११ साल की  बच्ची  स्वीटी  जिसकी  किडनी की बीमारी की वज़ह से मौत हो गयी, हम सब बहुत दुखी थे, पूरा परिवार उसके जाने के गम में बेसुध था, २० तारीख को तो जैसे हम मनहूस ही मान रहे थे क्यों की इस दिन हमे छोड़ कर हमारी बच्ची जो हमे चली गयी थे, मैं आपको बता दू की उसका जन्म भी २० तारीख हो ही हुआ था पर २० अप्रेल सन २ ० ० ०, खेर बात २१ सितम्बर सन २ ० १ १ के सुबह ४:३ ० की है, हम सब सोये हुए थे और एक ही कमरे में पूरा परिवार लेटा  हुआ था, कमरे की लाइट भी उस दिन हमने बंद नहीं की थी, तभी सुबह ४:३ ० बजे अचानक मेरी नींद टूट गयी और मैंने देखा की हमारी बच्ची ठीक मेरे बगल में बैठी है, दिखने में वो कुछ उदास सी लग रही थी जैसे हमसे जुदा होने का गम उसे भी हो, मुझे अपनी आँखों पर यकीं नहीं हुआ, मैंने इसे समझने के लिए कुछ वक्त लिया और तकरीबन ५ मिनट्स तक उसे देखा फिर मुझसे रहा नहीं गया और मेरे मुह से निकल ही पड़ा की बच्ची तू वापस आ गयी और ये कहते ही मैंने उसे अपने गले लगाने की जैसे ही कोशिश की वो जाने कहाँ गायब हो गयी और उसके बाद वो मुझे अभी तक कही नज़र नहीं आई(सुबह ४:३ ०  बजे की विषय में भी पाठकों  को मैं यहाँ बता दू की जब वो आखिरी साँसे ले रही थी वो उससे सबसे ज्यादा तकलीफ इसी समय से उसे शुरू हुई थी और हमे पता चल गया था की अब वो कुछ ही समय की मेहमान है और उसके ठीक २ ४ घंटे के भीतर वो मुझे ठीक इसी समय  दिखाई दी ), दोस्तों जब वो दुनिया छोड़ कर गयी थी वो पित्र पक्ष के दिन थे और इसी वज़ह से मैंने जब तक ये दिन रहे उसके नाम का पहला खाने का निवाला उसके नाम से निकालना शुरू किया शायद ही कोई यकीं करे जैसे ही वो निवाला निकाल कर हम उसे रखते वैसे ही कुछ ही देर में वो गायब हो जाता और हम सोचते की वो ही इसे खा कर गयी है किन्तु जैसे ही पित्र पक्ष के दिन समाप्त हुए उसके बाद हम उसका खाने का निवाला रखते वो वैसे ही रहता ।


दोस्तों ये वो घटना है जो किसी और के साथ नहीं बल्कि हमारे साथ घटी और जो पूरी तरह से सत्य है और हामरे प्राचीन धार्मिक ग्रंथों की बातों और आत्मा और परमात्मा की बातों की सत्य सिद्ध करती है, आगे आपकी मर्ज़ी आप इसे माने या ना माने।





Thanks and Regards
*****Archana*****

http://mystories028.blogspot.in/2013/06/blog-post_8.html

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