meri aawaz suno
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सुबह खिली धूप में ,
पेड़ की पत्तियों को देखा
झलकती,चमकती कोपलें
कुछ वक़्त बाद
लम्बी चौड़ी पत्तियां बन जाती हैं
फूल पत्तियों से लदे पेड़ का
हिस्सा बन जाती हैं
कुछ और वक़्त बाद
बसंत की नयी पत्तियां
वैशाख के आते आते पुरानी पुरानी सी
हो जाती है…धूल की इक पर्त लपेटे
देखकर लगता है की
अब धूप हवा न सह सकेंगी
ज़िन्दगी का साथ छूट जाएगा
लेकिन फिर बारिशें आ जाती हैं
बेजान पत्तियां नयी सी चमक उठती हैं..
नयी जान आ जाती है
सावन का संगीत ,पुरवाई की लहर से
जिंदगी जाग उठती है
बगीचे झूम उठते हैं
और पतझड़ तक एक और
संघर्ष को तैयार हो जाते हैं
हिम्मतें आस देती हैं …..
जिंदगी साथ देती है….बस हमेशा
मौसमों का कुछ ऐतबार करना पड़ता है
बारिशों का इंतज़ार करना पड़ता है…..
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