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आवाजें कहती है..बहुत कुछ! पार्ट-2 (कहानी)
डॉ.अरुणा कपूर.
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… उस रात पिताजी रात को अच्छी नींद सोए!…सुबह उठ कर मॉर्निंग-वाक पर भी गए!…वापस आकर डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठ कर चाए पी रहे थे… हाथ में अखबार था!…अखबार का दुसरा पन्ना देख रहे थे कि बोल उठे…” अरे भगवान!…यह क्या हो गया…डॉ. तिवारी चल बसे?” साथ वाली कुर्सी पर बेटा जय बैठा हुआ था!… सामने वाली कुर्सी पर दामाद मनोज बैठे हुए थे!… घर की महिलाएं रसोई में थी!
…जय और मनोज ने फुर्ति दिखाई और पिताजी को संभाला…लेकिन उनकी गर्दन कुर्सी के पीछे लुढक चुकी थी!… उन्हों ने अखबार में छ्पी डॉक्टर तिवारी के एक्सिडैंट की खबर पढ ली थी…एक्सिडैंट के बाद डॉक्टर तिवारी को नजदीक के अस्पताल में ले जाया गया था..लेकिन सिर पर गहरी चोट लगी हुई थी और ज्यादा खून बह गया था; इस वजह से उन्हें बचाया नहीं जा सका!…पिताजी के दिल को इस खबर ने हिला कर रख दिया!
…तुरन्त अस्पताल में फोन किया गया…डॉ. राठी तुरन्त पहुंच गए…उनका परिक्षण हुआ…लेकिन लोलिता के पिताजी दुनिया छोड कर जा चुके थे!… अब घर में मातम छाया हुआ था!…लोलिता रोते रोते बार बार कह रही थी कि…
” आप लोगों ने मेरी बात मानी होती..पिताजी को और एक दिन अस्पताल में रहने देते.. तो…पिताजी आज जीवित होते…हमारे बीच होते!”…मनोज लोलिता को समझाने में लगे हुए थे कि…मनुष्य का जन्म और म्रूत्यु का चक्र ईश्वर ही की मरजी से चलता है…इसमें कोई फरक नहीं कर सकता!…लेकिन लोलिता अपनी बात पर अडी हुई थी कि उसको संकेत पहले ही मिल चुका था!..उसके कान में किसीने बताया था कि ‘पिताजी को बचाया जा सकता है!
…कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए!…और परिक्षण में पता चला कि लोलिता के गर्भ में जुडवा बच्चे है!… यह खबर अचरज करने वाली तो थी नहीः जुडवा बच्चे तो पैदा होते ही रहते है!
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…लेकिन एक दिन लोलिता को ऐसे ही रात को फिर आवाज सुनाई दी…जैसे कि किसी ने कान में कहा..” लोलिता, तेरे गर्भ में दो लड्के है…एक तो तेरे पिता स्वयं पुनर्जन्म ले कर अवतरित हो रहे है!”
…” मै कैसे विश्वास कर लूं कि वे मेरे पिता ही है?” लोलिता आधी-कच्ची नींद में थीः वह भी बोल पडी!
…” तेरे पिता की बाह पर लाल रंग के लाखे का निशान थाः…बेटे की बाह पर भी होगा!” ..स्वर धीमा हो गया और उसके बाद कुछ नहीं.
…” लोली!..लोली!.. क्या सपना आया था?…नींद में क्या बोल रही थी?” ..साथ ही बेड पर लेटे हुए पति मनोज ने पूछा.
…” पता नहीं क्या बोली मै!..मुझे कुछ याद नहीं है!” लोलिता ने बात छिपाई!
…. समय के चलते लोलिता ने दो जुडवा लड्कों को जन्म दिया!…सही में एक बच्चे की बाह पर लाल रंग के लाखे का निशान था; ठीक उसी जगह जहां लोलिता के पिताजी की बाह पर था!…लोलिता अब आवाज में बसी हुई सच्चाई जान चुकी थी!
… लेकिन दो महिने बाद उसके दोनों बेटे जॉन्डिस की चपेट में आ गए!… उन्हे अस्पताल पहुंचाया गया!…उन दोनों की हालत देखते हुए डोक्टर्स ने जवाब दे दिया!
….” हम अपनी पूरी कोशिश करेंगे… बाकी उपरवाले की मर्जी!” …डॉक्टर ने कहा!
… और उसी रात फिर अस्पताल के अहाते में बेंच पर बैठी लोलिता को आवाज सुनाई दी…..
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.” तेरे पिता को बचा ले…. उन्हे उनके असली नाम से पुकार कर रुक जाने के लिए कहेगी तो वे रुक जाएंगे…अभी इसी समय चली जा!”
…लोलिता भागती हुई I.C.U. की तरफ गई… मनोज साथ ही थे..वे भी उसके पीछे भागे… लेकिन लोलिता को I.C.U.में जाने से रोका गया! ….मनोज कुछ बोलते उससे पहले ही लोलिता बाहर खडी जोर से चिल्लाने जैसी आवाज में बोली….
…” पुरुषोत्तम!… रुक जाओ!….मेरी खातिर रुक जाओ पुरुशोत्तम!…तुम्हारी मैं बेटी भी हूं; मां भी हूँ!!… मुझे छोड कर मत जाओ!” …बोलते बोलते लोलिता रो पडी.
…उसी समय आइ.सी.यू का दरवाजा थोडासा खुल गया और नर्स ने बताया कि एक बच्चा अभी सांसे ले रहा है और एक भगवान को प्यारा हो गया है!
…”जो है वे मेरे पिता पुरुशोत्तम है नर्स!…वे अब कहीं नहीं जाएंगे!” लोलिता ने नर्स से कह दिया…अब दरवाजा फिर बंद हो गया!…
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… सही में एक बच्चे की जान बच गई थी! उसी बच्चे की बांह पर लाल रंग के लाखे का निशान था!…बच्चा अब ठीक हो कर घर आ गया था!… लोलिता ने अब अपने पति मनोज को सब कुछ बताया. मनोज को भी अब विश्वास हो गया है कि कुदरत के पिटारे में कई शक्तियां भरी हुई है!
…एक दिन मनोज ने लोलिता से यूं ही पूछा…
“ लोली..हमारा दूसरा बच्चा क्यों हमें छोड कर गया?”
“ बस!..वो चला गया…अपने घर ही तो गया है!” लोलिता का ठंडा जवाब!
“ कौन था वह?…उसका कौन सा घर था?”…मनोज के मन में जिज्ञासा पैदा हुई!
“ वे डॉ.तिवारी थे मनोज!…अपने घर वापस चले गए है!…तुम पता कर लो, वे वहीं मिलेंगे!…” कहते हुए लोलिता ने अपने सोए हुए बच्चे के गाल पर होठ रख लिए!…मनोज ने दूसरे दिन ही डॉ.तिवारी के घर का रुख किया..उसे पता चला की जिस रात उसके दूसरे बच्चे की मृत्यु हुई थी… उसी रात, उसी समय डॉ.तिवारी की बहू ने बेटे को जन्म दिया था!
…वाकई कुदरत एक ऐसा अंधकार है, जिसमें बहुत कुछ छिपा हुआ है!….उस अंधकार को भेदने की शक्ति हमारे पास नहीं है!
समाप्त!
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