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मोबाइल गिरा रे…
दिल्ली के पुस्तक मेले में।
हमारा नहीं.. शर्मा जी के बेटे रोहित का गिरा।वह कुकरी की पुस्तकें खरीदने पुस्तक मेले में गया था।..उसने किसी और के मोबाइल से नंबर मिला कर, घर पर शर्मा जी को सूचित किया।
‘पापा..मेरा मोबाइल जेब से निकालते हुए गिर गया।’
‘ तो नीचे झुककर उठा लेता।..’
‘ लेकिन पापा , मेरे से पहले एक लड़की ने झुककर उठाया..लगा कि वह मुझे देगी.. जरासा मुसकुराई भी.. लेकिन पापा .. वो तो एकदम से भीड़ में गुम हो गई।मै उसे ही ढूंढ रहा हूँ।’
‘ क्यों?.. बेवकूफ़।… लड़की नहीं, मोबाइल ढूंढ।वो नहीं मिली,तो कोई और मिल जाएगी।..मोबाइल तो मिलना ही चाहिए।’
‘ लेकिन पापा..’
‘लेकिन वेकिन कुछ नहीं।खबरदार!.. जो लड़की को लेकर आया..बिना मोबाइल लिए घर मत आना।’ कहकर शर्मा जी ने फोन बंद कर दिया।
.. अब रोहित पुस्तक मेले में घुम रहा है..लडकी की नहीं, मोबाइल की तलाश में।
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