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फिल्म पीके पर बेजा विवाद ।

अनुभूति
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आमिर खान देश के जाने माने अभिनेता है इन्होनेँ अपनी फिल्मोँ के माध्यम से अनेक सामाजिक बुराइयोँ के खिलाफ जनसाधारण को जाग्रत किया है ।इनकी प्रत्येक फिल्म मेँ एक संदेश छिपा होता है ।हाल ही मेँ आमिर खान की रिलीज हुई फिल्म पीके ने धर्म के नाम पर हो रही धोखाधड़ी ,धर्म के नाम पर लोगोँ को ठगना ,धर्म का हवाला देकर लोगोँ को बेवकूफ बनाये जाने के मुद्दे को उठाया है ।किस तरह समाज मेँ दुनियाँ को बनाने वाले भगवान को धर्मोँ मेँ बाँट दिया गया है ,भगवान को प्रसन्न करने के लिए ऊँचा चढ़ावा चढ़ाया जाता है ,भगवान की खरीद फरोख्त हो रही है और किस तरह कुछ लोग भगवान के एजेँट बनकर करोड़ो अरबोँ के साम्राज्य के मालिक बन बैठे हैँ ।समाज मेँ धर्म के नाम पर फैलाये जा रहे अँधविश्वास को ही पीके मेँ मुख्य रुप से दर्शाया गया है जिस पर सभी धर्म के ठेकेदारोँ की त्यौरियाँ चढ़ गयी है और वे इसका विरोध कर रहे हैँ ।जाहिर सी बात है कि इस फिल्म मेँ जिनकी असलियत को उजागर किया गया है वे तो इस फिल्म का विरोध करेँगे ही ,और कुछ लोग अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस फिल्म का विरोध कर रहे हैँ और उनका तर्क है कि इस फिल्म मेँ उनके धर्म का ज्यादा विरोध किया गया है व कमिया दिखाई गयीँ है जबकि दूसरे धर्म की कम ।परन्तु यदि देखा जाय तो फिल्म मेँ लगभग सभी प्रमुख धर्मोँ की कमियोँ को उजागर किया गया है और यदि किसी धर्म पर ज्यादा आरोप लगाया है तो यह उस धर्म के अनुयायियोँ व धर्माधिकारियोँ दोनोँ को ही इस पर चिँतन मनन करने की जरुरत है और अपनी कमियोँ को दूर करने का समय है न कि विरोध करने का ।वैसे भी आमिर खान एक उम्दा व लोकप्रिय कलाकार हैँ जिनकी फिल्मेँ व सीरियल सामाजिक सुधार के लिए जाने जाते हैँ और एक ऐसा कलाकार जो विवादोँ मेँ नहीँ रहना चाहता है उसकी फिल्म का स्वयँ के फायदे के लिए विरोध करना उचित नहीँ है ।

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