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भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागडे के साथ जिस तरह का दुर्व्यवहार अमेरिका ने किया है ,वह एक सभ्य और लोकतांत्रिक देश द्वारा इस तरीके के अनुचित और अमर्यादित व्यवहार की कल्पना भी नहीँ की जा सकती।
परन्तु यह अमेरिका की पुरानी नीति है कि वह अपने लिए अलग और शेष दुनियाँ के लिए अलग नियम बनाता है,और मानवाधिकारोँ की रक्षा के नाम पर अन्य देशोँ के आन्तरिक मामलोँ मे हस्त्क्षेप करने से भी बाज नहीँ आता ।तभी तो भारतीय राजनयिक देवयानी के घरेलू नौकर संगीता रिचर्ड को न्याय दिलाने के नाम पर देवयानी पर अनुचित कारवाई की गई .साथ ही साथ भारतीय न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिह्ऩ भी उठाया गया ।
देवयानी मामले के पहले भी ऐसे कई मामले भी प्रकाश मे आये हैँ जिनमेँ भारत की जानी मानी हस्तियोँ को अमेरिका मेँ अपमानित होना पड़ा है ।पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ,सिने स्टार शाहरुख खान ,पूर्व रक्षा मंत्री जाँर्ज फर्नाँडिज .सपा नेता आजम खान आदि को अमेरिका मेँ अपमानित होना पड़ा है ।यह दर्शाता है कि आज भी अमेरिका अपने नस्लीय सोच से उबर नहीँ पाया है।लोकतांत्रिक मूल्योँ और समानता की बातेँ करने वाला अमेरिका नस्लीय कट्टरपन और संकीर्ण मानसिकता से ग्रस्त है ।
पर देवयानी मामले मेँ सुखद संकेत यह है कि पहली बार भारत ने वाशिंगटन को सख्त और करारा जवाब दिया है और आपसी मतभेदोँ को दूर करते हुए पक्ष विपक्ष सभी ने अमेरिकी नीति की भर्त्सना की है ।आज आवश्यकता इस बात की है कि जिस तरह से अमेरिका भारतीयो के साथ व्यवहार सुरक्षा के नाम पर करता है ,उसी लहजे मेँ उसे भी जबाब दिये जाने की जरुरत है।अमेरिका से आने वाले हर आम और खास की सघन जाँच की जानी चाहिए ।और उसका जबाब जैसे को तैसा के अंदाज मेँ दिया जाना चाहिए ।तब जाकर अमेरिका अपने कुत्सित हरकतोँ से बाज आयेगा ।
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