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पड़ोसी देशोँ के साथ भारतीय नीतियोँ मेँ परिवर्तन की जरुरत

अनुभूति
अनुभूति
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स्वतंत्रता के पश्चात से ही भारत की छवि विश्व समुदाय मेँ एक शान्तिप्रिय देश की रही है।भारत ने अपनी तरफ से सदैव यह प्रयत्न किया है कि पड़ोसी देशोँ के साथ सम्बन्ध मधुर रहेँ।भारत सदैव ही पड़ोसी देशोँ के साथ सीमा विवाद,नदी जल विवाद,आतंकवाद ,जैसे गम्भीर मुद्दोँ को बातचीत के जरिए सुलझाने के पक्ष मेँ रहा है।भारत गुटनिरपेक्षता और पंचशील के सिद्धान्तोँ मेँ विश्वास करता है।भारत की नीति किसी भी देश पर प्रथम आक्रमण की नहीँ रहीँ।परन्तु दुःख की बात ये है कि हमारे पड़ोसी देश भारत की उदार नीतियोँ और शान्तिपूर्ण रवैय्ये को हमारी कमजोरी समझते रहे हैँ।नेहरु जी ने चीन के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाकर हिँदी चीनी भाई भाई का नारा दिया।पर चीन ने हमारे ऊपर आक्रमण करके हमारी पीठ मेँ छुरा घोँपने का कार्य किया।वर्तमान समय मेँ भारत भूमि का बहुत बड़ा हिस्सा चीन के कब्जे मेँ है।लेकिन चीन आज भी भारत के पूर्वोत्तर राज्योँ पर अपना दावा ठोँकता रहा है।चीनी सैनिकोँ की लगातार भारतीय सीमा मेँ घुसपैठ और भारतीय सेना के जवानोँ को वापस लौटने का फरमान सुनाना चीन की कुत्सित मानसिकता को दर्शाता है।भारत जहा चीन से विवादित मुद्दोँ को बातचीत के टेबल पर शान्तिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहता है पर ड्रैगन के आक्रामक तेवर यह बताता है कि उसकी नजरेँ भारत के पूर्वोत्तर राज्योँ पर गड़ी हुई है।भारत के विभिन्न राज्योँ मेँ नक्सलियोँ को हथियार प्रदान करके चीन भारत मेँ अशान्ति पैदा कर रहा है।दूसरी तरफ पाकिस्तान जिसका जन्म ही भारत विरोध पर हुआ है भारत मेँ आतंकियोँ को आर्थिक सहायता प्रदान करके भारत की आन्तरिक सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर रहा है।सीमा पर चीन और पाक दोनोँ भारत के लिए चुनौतिया पेश कर रहे हैँ।भारतीय सैनिकोँ पर अचानक हमला ,भारतीय सैनिकोँ का सर काट ले जाना,पाकिस्तान मेँ बैठे आतंकवाद के आकाओँ और उसकी खुफिया एजेन्सी आईएसआई के इशारे पर हो रहा है।हाल मेँ ही प्रधानमंत्री की अमेरिका रवाना होने से पहले पाक आतंकवादियोँ ने जम्मू मेँ भारतीय सैनिकोँ पर बर्बर हमला करके पाकिस्तान के इरादे स्पष्ट करा दिए।अमेरिका मेँ नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्रीजी पर देहाती महिला जैसी अभद्र टिप्पणी करके यह दर्शाया कि वह शान्ति वार्ता के प्रति गम्भीर नही हैँ।नवाज शरीफ शान्ति वार्ताओँ की आड़ मेँ हमेँ कारगिल का घाव दे चुके हैँ जिनसे हमेँ सावधान रहने की जरुरत है।पड़ोसी देशोँ के साथ नीतियोँ मेँ अब बदलाव की जरुरत है जिसके लिए हमेँ अमेरिका से सीख लेनी चाहिए जिसने सितम्बर हमले के अपराधी तालिबान ,ओसामा और उमर को पूरी तरह से नेस्तनाबूद करके सितम्बर की घटना की पुनरावृत्ति नहीँ होने दी ।पर हमारे हद से ज्यादा शान्तिपूर्ण रवैय्ये ने हमेँ 26/11,संसद पर हमला,सैनिकोँ की नृशँस हत्या,आये दिन होने वाले बम विस्फोट ,जाली नोटोँ की तस्करी ,पाकिस्तान से हथियारोँ की तस्करी जैसी घटनाओँ मेँ वृद्धि हुई है।अब समय आ गया है जब भारत सरकार पड़ोसी देशोँ के साथ अपनी नीतियोँ की समीक्षा करे और नयी तथा कारगर नीति का निर्माण करे ताकि आतंकवाद का दंश झेल रही भारत की जनता को राहत मिल सके ।आखिर कब तक अपने ही जनता और अपने ही सैनिकोँ की लाशोँ पर चढ़कर हम शान्ति वार्ताये करते रहेँगे?

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