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भारत के प्राचीन मनीषियोँ द्वारा आज से हजारोँ वर्ष पूर्व मानव तन मन को स्वस्थ ,व आरोग्य रखने के लिए योग ,ध्यान व आयुर्वेद की खोज की ।प्राचीन काल से ही भारत मेँ योग द्वारा असाध्य बीमारियोँ का ईलाज किया जाता रहा है ।योगियोँ द्वारा यौगिक क्रियाओँ के माध्यम से चमत्कारिक कार्योँ को किया जाना आम बात थी ।योग -सूत्र के प्रणेता महर्षि पतँजलि के अनुसार ,योग के माध्यम से सर्वप्रथम मन को वश मेँ किया जाता है और मन को किसी विशेष दिशा मेँ एकाग्र करके असाधारण सफलता अर्जित की जा सकती है ।योग के द्वारा मनुष्य जीवन के चरम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति भी सँभव है अर्थात् योग द्वारा भौतिक व पारलौकिक लक्ष्योँ को प्राप्त करना सँभव है ।ऐसा वर्तमान युग मेँ भी देखा गया है कि जहाँ आधुनिक चिकित्सा प्रणाली असफल हो गयी है वहा योग कारगर सिध्द हुआ है ।परन्तु आज के भौतिकतावादी युग मेँ हम अपने प्राचीन वैज्ञानिकोँ की देन योग ,ध्यान ,आयुर्वेद को भूल चुके थे ।वामपँथी विचारधारा से प्रभावित लोगोँ द्वारा योग ,ध्यान ,आयुर्वेद तथा भारत के प्राचीन दर्शन को अँधविश्वास कहकर प्रचारित किया गया ।लेकिन हमेँ भारतवर्ष के कुछ आधुनिक सँतोँ तथा राष्ट्रवादी सँगठनोँ को धन्यवाद करना नहीँ भूलना चाहिए जिन्होने भारत के इस प्राचीन ज्ञान को पूरी दुनियाँ मेँ प्रचारित प्रसारित किया और दुनियाँ भर मेँ योग और भारत को पुन: ख्याति दिलवाई ।आज दुनियाँ भर मेँ योग केन्द्र खोले जा रहे हैँ ,योग द्वारा असाध्य रोगी भी स्वस्थ जीवन यापन कर रहे हैँ ।अमेरिका ,ब्रिटेन ,जर्मनी ,फ्राँस ,रुस जैसे भौतिकतावादी देशोँ मेँ भी योग का जादू लोगोँ के सिर चढ़ कर बोल रहा है ।इतना ही नहीँ प्रधानमँत्री मोदी के प्रस्ताव पर दुनियाँ के 177 देशोँ ने मिलकर योग दिवस मनाने का सँकल्प लिया है और भारत की इस प्राचीन विधा के महत्व को स्वीकार किया है ।आज दुनियाँ भर मेँ योग का डँका बज रहा है ।कभी विश्वगुरु कहा जाने वाला भारत पुन: योग ,ध्यान जैसी प्राचीन पद्दतियोँ की मदद से अपनी खोई प्रतिष्ठा पुन: प्राप्त कर रहा है ।दुनिया भर को वसुधैव कुटुँबकम का मँत्र सुनाने वाला भारत आज पुन: योग के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व मेँ मानवतावादी विचारोँ का प्रसार कर रहा है और पुन: विश्व का सिरमौर बनने की तरफ अग्रसर है ।
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