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भारत और कुपोषण

सरोकार
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अभी एक सम्मलेन में प्रधानमंत्री जी ने कहा कि देश में कुपोषण और भुखमरी की हालत शर्मनाक है. हम कई अफ़्रीकी देशों से भी नीचे हैं. लेकिन अफ़सोस कि इतने बड़े मुद्दे को ऐसे ढक दिया गया कि इस पर एक दिन भी चर्चा नहीं हुई. सारी चर्चाएं हाथियों को ढकने पर ही लगी रहीं.

एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार पांच साल के कम के अत्यंत कुपोषित बच्चों की कुल संख्या में से लगभग आधे बच्चे भारत में हैं. विश्व बैंक के मुताबिक दुनिया भर में 146 मिलियन बच्चे कुपोषित हैं और इनमे से लगभग 65 मिलियन बच्चे भारत में हैं. देश में पांच साल से कम के बच्चो में लगभग 46% बच्चो को नियमित भोजन प्राप्त नहीं होता है. एक और अध्ययन के अनुसार लगभग 19 लाख बच्चे जो पैदा तो जीवित होते हैं किन्तु अपना प्रथम जन्मदिन नहीं मना पाते हैं. भारत में प्रत्येक 1000 जीवित पैदा हुए बच्चों में से 32 बच्चे जन्म के कुछ ही माह के बाद कुपोषण का शिकार हो मर जाते हैं. और यह विडम्बनापूर्ण स्थिति केवल अफ़्रीकी देशों में ही है. बच्चो में कुपोषण के मामले में हम हैती, मंगोलिया और वियतनाम जैसे देशो के साथ खड़े हैं.

विश्व के अन्य देशो जहाँ कुपोषण और भुखमरी मौजूद है वह या तो प्रतिकूल प्राकृतिक अवस्था जैसे बाढ़, भूकंप हैं या फिर वे देश युद्ध जैसी परिस्थिति में रह रहे हैं. विडंबना यह है कि ऐसी स्थिति भारत में नहीं है फिर भी देश के आधे बच्चे भूखे रह रहे हैं. यह स्थिति मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, ओड़िसा, बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों में अधिक भयावह है. ये वही क्षेत्र हैं जहाँ सरकार की मशीनरी या तो नहीं पहुची है या पहुच कर भी प्रभावी नहीं रही है. राष्ट्रीय स्वस्थ्य सर्वेक्षण में मध्य्रदेश और छतीसगढ़ में बच्चो में कुपोषण की प्रतिशत 60% से भी अधिक है.

आश्चर्य है कि दहाई में जी ड़ी पी में वृद्धि, आर्थिक और सामरिक महाशक्ति का दावा करने वाले देश के प्रधानमंत्री जी को कुपोषण को राष्ट्रीय लज्जा मानना पड़ रहा है और कहना पड़ रहा है कि इस बारे में योजना बनाने की जरुरत है. अब कौन पूछेगा संसद और सरकार से कि इन पैंसठ सालों में सरकार इस बारे में कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठा सकी ? योजना आयोग क्या कर रही थी इन वर्षो में ? चूँकि देश के ये बच्चे ना तो वोट बैंक हैं कि इन पर ध्यान रखा जाए, न उपजाऊ ज़मीन कि इनके अधिग्रहण के लिए को योजना बने, न ही खनिज खान कि इनसे राजस्व प्राप्त होगा, या फिर कोई स्पेक्ट्रम भी नहीं हैं ये बच्चे की नीलाम कर दिया जाये कौड़ी के भाव जल्दीबाजी में… !

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