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आने वाले समय में दिल्ली की राजनीति

बिखरे मोती
बिखरे मोती
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दिल्ली विधान सभा के इक्कीस सदस्यों को लेकर आजकल टीवी चैनलों और राजनीतिक मंचों पर चर्चाएँ आम हैं I राजनीति में रुचि रखने वाले हर व्यक्ति का पूरा ध्यान चुनाव आयोग द्वारा दिल्ली विधान सभा के आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता को खारिज करने के बाद चुनाव आयोग  के इस फैसले को  उच्च न्यायालय में दी गयी चुनौती के निर्णय पर लगा है I

उच्च न्यायालय  यदि चुनाव आयोग के फैसले को अवैध ठहराती है तो इस दश में सबसे ज्यादा किरकिरी चुनाव आयोग और बीजेपी की होगी यह निश्चित है I चुनाव आयोग की निरपेक्षता पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लग जाएगा I आम आदमी पार्टी इसे बीजेपी द्वारा नियोजित षड्यंत्र कहकर राजनीतिक लाभ उठाने का पूरा प्रयास करेगी जबकि कांग्रेसी और अन्य राजनीतिक दल कुछ भी कहने की  स्थिति में नहीं होंगे क्योंकि उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले पर अपने विचार खुल कर रखने से निश्चित ही परहेज किया है I

यदि उच्च न्यायालय चुनाव योग के फैसले को वैध मान लेता है तो उस दशा में निश्चित ही दिल्ली में चुनाव आयोग को उप चुनाव कराने होगे I इन चुनावों के परिणाम आम आदमी पार्टी के भविष्य को तो निश्चित करेंगे  ही साथ ही  देश में  2018 में होने वाले कुछ राज्यों के चुनावों और 2019  में होने वाले संसद के चुनावों पर भी जरूर असर डालेंगे I

वैसे यह बात तो साफ़ है कि सदस्यता रद्द होने के बाद भी साधारण गणित के चलते आम आदमी पार्टी की सदस्यों की संख्या वर्तमान विधान सभा में 47  हो जाएगी जो कुल सदस्यों की संख्या की 2/3 से केवल एक कम होगी जिसके चलते ये तो तय  हैं कि दिल्ली में आम पार्टी की सरकार बनी रहेगी I

अब बात करते हैं उपचुनावों के परिणामों के बारे I यह उपचुनाव मुख्यतः तीन पार्टियों के बीच ही होगा बीजेपी , कांग्रेस और आम आदमी पार्टी I इस उपचुनाव के परिणामों की निम्न संभावनाएं  हो सकती हैं

क ) पहली सम्भावना  – यदि  कांग्रेस पार्टी सारी की सारी सीटें जीत जाती है तो इस दशा में सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को आने वाले समय में होने वाले कई राज्यों के चुनाव और केंद्र के 2019 चुनावों में होगा I यह जीत कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का  हौसला बढ़ाने वाली भी सिद्ध होगी I आम आदमी पार्टी के लिए  भी यह बहुत ही घातक होगा I इस धक्के से उभरने में शायद उसे कई वर्ष लग जाएं या उबर ही न पाये  I लेकिन उसके पास खोने को कुछ ज्यादा नहीं है क्योंकि इसकी पैठ अभी तक एक दो राज्य तक ही सीमित है I

ख ) दूसरा संभावना – यदि बीजेपी सारी की सारी सीटें जीत जाती है तो यह कांग्रेस और आप के लिए यह बहुत ही घातक होगा I इस दशा में हो सकता है कांग्रेस का अस्तित्व ही खतरे में पड़  जाए I जैसा पहली संभावना में कहा गया है यह संभावना आम आदमी पार्टी के लिए  भी  बहुत ही घातक होगी  I इस धक्के से उभरने में शायद उसे कई वर्ष लग जाएं या उबर ही न पाये I वैसे देश की राजनीति को कांग्रेस के विलुप्त होने से ज्यादा खतरा है न कि आम आदमी पार्टी के  क्योंकि इस दशा में राष्ट्रीय स्तर पर लोगों के सामने बीजेपी के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा और जो देश में प्रजातंत्र के भविष्य के बहुत ही नुकसानदेह साबित होगा I

ग ) तीसरी संभावना :- यदि आम आदमी पार्टी फिर से सारी की सारी सीटें जीत जाती है तो जहां एक ओर यह स्थिति आम आदमी के लिए बहुत ही लाभप्रद सिद्ध होगी  वहीं बीजेपी और कांग्रेस के लिए  घातक सिद्ध होगी  I कांग्रेस के लिए तो यह स्थिति बहुत ही घातक हो सकती है क्योंकि अपनी इस जीत के बलबूते आम आदमी पार्टी अगले वर्ष होने वाले राज्यों के चुनावों में बहुत बड़ा फेर बदल कर एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में उभर कर सामने आ सकती है और राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेसी का विकल्प बनकर उभर सकती है I

घ ) चौथी सम्भावना – यदि तीनों पार्टियां कुछ-कुछ सीटों पर अपनी जीत दर्ज कराती हैI इस दशा में सीटों के आधार पर बड़ा नुकसान तो आम आदमी पार्टी को ही होगा लेकिन अन्य शेष दो पार्टियों को भी कोई विशेष लाभ नहीं होगा I आम आदमी पार्टी अपनी स्थिति को यह कहकर साफ़ कर सकती है कि देश की दो बड़ी पार्टियों के दुष्प्रचार के बाद भी उसने कुछ सीटों पर जीत दर्ज की है और यह उसके लिए एक बड़ी उपलब्धि है I यदि  बीजेपी  कुछ सीट जीत जाती है तो उसके नेताओं का लगातार यह  कहना कि दिल्ली में आप सरकार कुछ भी काम नहीं कर  रही झूठा  साबित होगा जिसका नुकसान पार्टी को  अगले वर्ष होने वाले राज्यों के चुनावों में झेलना पड़ेगा I दूसरी ओर कांग्रेस जो एक राष्ट्रव्यापी पार्टी के रूप में देश पर लगभग 60 वर्षों तक शासन करती रही यदि अपनी कुछ सीटों की जीत को जोर शोर से प्रचारित करती है तो उसके लिए यह बहुत ही शर्म की बात होगी I वैसे देश की वर्तमान राजनीति में शर्म शब्द के लिए शायद ही कोई स्थान है I

संभावना( घ ) जिसके घटने की प्रायक्ता सबसे अधिक है  के फलस्वरूप कुछ और महत्वपूर्ण बातें भी हो सकती हैं I जैसे आम आदमी पार्टी को झटका लगने से इसके नेता शायद भविष्य में बेतुके निर्णय लेने से बचेंगे I दूसरी ओर बीजेपी और कांग्रेस के जीते विधायकों को आम आदमी पार्टी के विधायकों सामने अपने आपको सिद्ध करने की एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि उन्हें आम आदमी पार्टी सरकार का सहयोग कम ही मिलेगा I सब मिलाकर यह स्थिति दिल्ली वासियों के लिए लाभप्रद ही होगी क्योंकि 2020 के चुनाव के मद्देनज़र सब पार्टियों के विधायक अपने –अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा काम करके दिखाने का प्रयास करेंगे I I

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