Menu
blogid : 13187 postid : 882454

सच्ची बातें और कुछ कविताएँ

Man ki laharen
Man ki laharen
  • 593 Posts
  • 120 Comments

सच्ची बात
************
भीतर.. प्रकाश कायम है…लाना नहीं है,
फिर आदमी अदिव्य (unenlightened) क्यों है?,
क्योंकि कल्प-सामग्री (image-material)
से बने ज्ञान-समझ-अहंकार की दीवार ने
प्रकाश को उसतक पहुँचने से रोक रख्खा है,
जब दीवार ढहेगी तब …दिव्यत्व जागेगा
-अरुण

सच्ची बात
************
किसी अनजान शहर में ……राह चलते जो भी दिखता है
उसे हम देखते जाते हैं – आदमी, पेड़, वस्तुएं, दुकाने…
ऐसे ही सबकुछ – उनसे एक रिश्ता तो बनता है
पर न तो हम उन्हें स्वीकरते हैं और न ही उन्हें नकारते हैं.
इसतरह जुड़कर भी अनजुड़े रहे रिश्ते में आदमी का स्व (Self) उघाड़ता जाता है
बिना किसी कोशिश के भीतर बाहर का अभिन्न्त्व खुला हो जाता है
आदमी के ‘भीतर’ का उसके ‘बाहर’ से यही खरा रिश्ता है.
परन्तु हम तो हमेशा …पूर्वाग्रह ग्रस्त (baised और prejudiced)
रिश्तों में ही जीते हैं
-अरुण

रुबाई
*******
आसमां वक्त से हटते हुए…….. ..देखा न कभी
हर सेहेर बाद रात….सिलसिला बदला न कभी
कभी तूफान कभी मंद……. ..कभी ठहरा समीर
आसमां अपनी जगह ठहरासा, हिलता न कभी
अरुण

सच्ची बात
***********
सच का दर्शन
—————–
जिसने देखा, कहे बिना… रह न सका
अफ़सोस! के कहा सुना सच हो न सका
अरुण
सच्ची बात
***********
जिंदगी सबकी ख़ुशी और आँसुओं का नाम है
यह नही है खास मेरी या के तेरी दास्ताँ
अरुण

सच्ची बात
**********
अपने बनाये जहन्नुम में साँस लेते हैं मगर
सोचते हैं कब हमें जन्नतसी दुनिया हो नसीब
अरुण
सच्ची बात
************
सज़ा-ईनाम पे निरभर है दुनिया का रव्वैया
कोई कारण बने ऐसा के इंसा खुद बदल जाए ?
अरुण
सच्ची बात
***********
है सच्चाई का सच ऐसा छुपाओ भी नही छुपता
मगर जज़्बात से देखो तो सारा धुँध दिखता है
– अरुण

सच्ची बात
***********
धुएँ से जंग करने के तरीके हों कई लेकिन कि
जिसने आग को जीता धुएँ से क्या उसे मतलब
– अरुण

फ़िल्मी गीत के तर्ज़ पर लिखी ही रचना
——————————————
मै तुम्हें कौन से तोहफे सजा के लाऊं अब
**************************************
खुली राहों में सिसकती हुई रातों के सिवा
मै तुम्हें कौन से तोहफे सजा के लाऊं अब

अब तो जीवन में कहीं ख्वाब का सिंगार नही
मेरी रातों में पला दर्द है बहार नही
मेरी डूबी हुई हसरत को सिवा मरने के
किसी रंगीन किनारे से सरोकार नही

घने जंगल में सुलगती हुई शाखों के सिवा
मै तुम्हें कौन से तोहफे सजा के लाऊं अब

मेरी आँखों में बसे अश्क बसी चाह नही
मै अकेला हूँ मेरा कोई हमराह नही
मेरी नाकाम उमंगों को सिवा रोने के
गम हटाने की मिली और कोई राह नही

गम के बोझ से दबती हुई सांसों के सिवा
मै तुम्हें कौन से तोहफे सजा के लाऊं अब

अरुण

सच्ची बात
***********
तमाशा देखता था हर तरफ़….. बनकर तमाशाई
दिखे अब साफ़… ..सबकुछ है तमाशा ही तमाशा
अरुण
सच्ची बात
***********
मै पानी हूँ और पानी में तैरता हूँ
मगर ख़याल कि हूँ देखता किनारे से
अरुण
सच्ची बात
***********
मुहब्बत जाग उठ्ठी… खूबसूरत थी घड़ी
घड़ी जब सोच में उतरी मुहब्बत खो गई
अरुण

समय को विश्राम दो………
**********************
समय को विश्राम दो इस बाह में तन डालकर
आस में जो थक गया उस रूप का श्रृंगारकर

नयन में बन ढल गये जलकण तुम्हारे धीर के
ओंठ पर अब सो रहे हैं ……गीत लंबे पीर के
तपन में जो जल रहा सौंदर्य उसका ख्यालकर
समय को विश्राम दो इस बाह में तन डालकर

धडकनों में भय समाया है गमक न प्रीत की
वेदना की गूँज है.. अब गूँज ना मधु-गीत की
शुभ स्वरों को जन्म दो इस रुदन का संहारकर
समय को विश्राम दो इस बाह में तन डालकर

असहायता का बिम्ब अब मुखपर चमकता जा रहा
नैराश्य का ही भाव अब दिल में सुलगता जा रहा
लो आसमय दुनिया इन्ही हांथो का लो आधारधर
समय को विश्राम दो ……इस बाह में तन डालकर
-अरुण

करीब ५०- ६० वर्ष पूर्व रचे जानेवाले फिल्मी युगल गीतों के ढंग का
मेरा यह गीत
*******************************
आओ मिलकर चांदनी में हसते गाते जाएँ
मंजिल की सूनी राहों पर, सपने-फूल सजाएँ

देखो ये चांदनी…. चंदा के नज़रों में खो गई
देखो ये चांदनी……चंदा का दिल भी तो ले गई
नर्मसी हवाओं पर…..ये प्यार झूल जाए
प्यार के समन्दर की ….हर लहर मुस्कुराए

आअो मिलकर………..

पूछो क्यों प्यार के आसमाँका…..पंछी तू हो गया
पूछो क्यों खुद को फूल चमन का मेरे….. बन गया
शर्म की घटाओं से ….ये हुस्न भींग जाए
आसमाँ के तारों से ….हम तुझको ढूंढ लाए

आओ मिलकर चांदनी में हसते गाते जाएँ
मंजिल की सूनी राहों पर, सपने-फूल सजाएँ
-अरुण

सच्ची बात
***********
सोये हुए सवालों के जवाब भी…सोये हुए
दिमाग तो जानना चाहे वही जो जाने हुए
अरुण
सच्ची बात
*********
इक पल लगा सारा नज़ारा दिख गया
जिसको बयां करते ज़माना थक गया
अरुण
सच्ची बात
************
कैसे दे पाए सही अपना पता अपना व
एक ही वक्त कई जगहों पे रहता जो है
अरुण

किसलय की छावों में छुपकर………….

किसलय की छावों में छुपकर मेरी बाँहों में आ जाना
दुनिया की नज़रों से बचकर मेरी नज़रों में आ जाना

तेरी पूजा के खातिर मै, अंतर में हूँ नव-स्वप्न लिए
तेरा सिंगार रचाने को, प्रेमाश्रु का मै रत्न लिए
बैठा हूँ मै कितने पल से, वो पल पल सार्थक कर देना
दुनिया की नज़रों से बचकर मेरी नज़रों में आ जाना

तेरे दर्शन के खातिर अब, इन नयनों में आशाएं हैं
मस्तिक पट पर अब तेरी ही स्मृतियों की रेखाएँ हैं
तुम आज प्रतिक्षा-भूमि पर, क्षण मधुर मिलन के बो देना
दुनिया की नज़रों से बचकर मेरी नज़रों में आ जाना

मधुमिलन-पर्व के खातिर अब, सब पर्वों ने धीरज खोया
क्षण क्षण प्रीती ही मेला जब, मेलों से चित्त नही भाया
सब पर्व मानने के खातिर सहजीवन पर्व दिला देना
दुनिया की नज़रों से बचकर मेरी नज़रों में आ जाना

किसलय की छावों में छुपकर मेरी बाँहों में आ जाना
दुनिया की नज़रों से बचकर मेरी नज़रों में आ जाना
-अरुण

सच्ची बात
**********
दिल पे नज़ारा पसरे जन्नत लगे जहान
मन के दखल ने जीना दुश्वार कर दिया
अरुण
सच्ची बात
***********
जनम हो के मौत दोनों आ रहे पूछे बगैर
प्यार है जो इसतरह ही घटता अपने आपही
अरुण

सच्ची बात
**********
अपने पैरों पर चले तो बोझ अपना जान जाए
दूसरों की सोच से सीखे न कुछ भी हात आए
अरुण
सच्ची बात
**********
गुजर जाता न टकराये न छोडे है निशां कोई
खुले आकाश में पंछी न उलझा है न है सुलझा
अरुण
1- Inside outside
2- Self body image continuity
3 – Self esteem
4- self extension myness
5- self image – reaction rebellious
6- reason rationality education
7 – goal becoming achieving name fame

सच्ची बात
***********
डर मौत का जैसे इधर बढ़ता गया
आत्मा तो है अमर …..कहता गया
अरुण

सच्ची बात
**********
जो सच पर जागने के काम आती है….समझ
किताबों में लिखी जाए… तो फिर क्या काम की ?
अरुण

सच्ची बात
**********
तुम ही मंज़िल हो तुम्हारी तुमही उसकी रहगुज़र
मेरी क्यों करते इबादत……..तू तो मेरा ही असर
अरुण
सच्ची बात
**********
मुक्त होना दूसरों की क़ैद से..काफ़ी नही
ख़ुद में बंधन देख लेना ही मुक्कमल मुक्ति है
अरुण
सच्ची बात
**********
आकाश बन देखो तो सबकुछ है यहीं पाया हुआ
समय को तो कोशिशों के साथ ही ….चलना पड़े
अरुण
सच्ची बात
**********
जुबां जो भी कहे सुन ले अरुण
नज़र से असलियत छुपती नही है
– अरुण

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply