- 21 Posts
- 2 Comments
जहाँ कोई लड़की अकेली देखो
तो सोचो
ये मौका है….
ये मौका है ये दिखाने का
कि जो हमने दुनिया को बताया
जो हमारे ऋषियों ने गाया
(यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता)
वो कोई कोरा उपदेश नहीं था
ये सही है कि मेरे जैसा कोई देश नहीं था…
ये मौका है
ये मौका है ये जताने का
कि वो लड़की मौका नहीं जिम्मेदारी है
जिसे निभाने की अब मेरी बारी है
मैं इस मौके को व्यर्थ ना जाने दूँ
अपनी सभ्यता को
अपनी संस्कृति को मायने दूँ
ये मौका है
ये मौका है ये बताने का
कि वो आश्वस्त रहे
क्यों वो भारत के पुरुष से
हमेशा शोषण की अभ्यस्थ रहे !
मैं उसका पिता, उसका भाई नहीं
पर भारत का बेटा हूँ
कोई वहसी नहीं, कसाई नहीं
ये मौका है
ये मौका है ये एहसास दिलाने का
ये जिम्मेदारी मेरी है
मैं निभाऊंगा
शायद कापुरुष होने के शाप से
ऐसे मुक्त हो पाऊंगा
शायद मेरी भावना से
समाज की खोखली
संस्कृति परंपरा का अंत हो पाये
और
सदियों से मर्यादा का बोझ ढोती ‘निर्भया’
इस तथाकथित समाज में
स्वतंत्र हो पाये…….. अरविन्द बिष्ट ‘अर्क’
Read Comments